नितीश कुमार के खिलाफ हत्या के मामले में दायर पीआईएल में चुनाव आयोग, पीएमओ को प्रतिवादी बनाने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, डीवाई चंद्रचूड़ और एएम खान्विलकर ने शुक्रवार को एडवोकेट एमएल शर्मा की खिंचाई की। शर्मा ने बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर कर 1991 में हुई हत्या के एक मामले में सीबीआई द्वारा एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है और इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और चुनाव आयोग को भी पक्षकार बनाया है।
पीठ ने पूछा : इस मामले से पीएमओ कैसे जुड़ा है?
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, “यह याचिका खामियों से भरा है; यह ठीक से गढ़ा नहीं गया है ...हर किसी को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता।”
इसके आगे न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, “अनुच्छेद 32 क्यों? क्योंकि आप यहाँ हो?”
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, “यह याचिका हाई कोर्ट के न्यायक्षेत्र में भी आता है”।
जब याचिकाकर्ता अपनी बात पर अड़ा रहा तो पीठ ने कहा, “हम प्रतिवादी के खिलाफ एफआईआर दायर करने की मांग वाली एक याचिका दो सप्ताह पहले खारिज कर चुके हैं... अगर उस पीआईएल की अनुमति नहीं दी गई तो आपको इसकी अनुमति देने का कोई कारण नहीं बनता”।
जहाँ तक अनुच्छेद 32 के तहत क्षेत्राधिकार के दुरूपयोग की बात है, पीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया और शर्मा से कहा कि वे चाहें तो अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।