गणित की दोबारा बोर्ड परीक्षा दिल्ली-एनसीआर तक ही सीमित क्यों ? दसवीं की दो छात्राओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पूछा [याचिका पढ़े]

Update: 2018-04-02 16:15 GMT

28 मार्च को "लीक" गणित परीक्षा देने वाली दसवीं की दो छात्राओं  ने अब सीबीएसई के प्रारंभिक पूछताछ के आधार पर ही गणित की पुन: परीक्षा कराने और इसे दिल्ली-एनसीआर व हरियाणा तक ही सीमित के  सीबीएसई के फैसले को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है।

15 वर्षीया अनुसूया थॉमस और गायत्री थॉमस पूर्वी दिल्ली के एक स्कूल की छात्रा हैं और उन्होंने याचिका में सवाल उठाए हैं कि सीबीएसई ने जुलाई में दोबारा परीक्षा कराने की फैसला कों लिया। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में अपने पिता जेमी थॉमस के माध्यम से याचिका दाखिल की है |

वकील पल्लवी प्रताप द्वारा दायर अपनी याचिका में छात्राओं ने 30 मार्च को सीबीएसई द्वारा कक्षा X की गणित की फिर से परीक्षा कराने और इसे सिर्फ दिल्ली एनसीआर और हरियाणा तक सीमित  करने के  प्राथमिक निर्णय को रद्द करने की मांग की है जिसमें कहा गया कि  प्रश्नपत्र लीक इन क्षेत्रों तक सीमित था।

 उन्होंने यह भी सवाल किया कि सीबीएसई ने जुलाई में फिर से परीक्षा आयोजित करने का फैसला क्यों किया, जब छात्रों को नए सत्र में जाना है। उन्होंने कहा कि छात्र पहले से ही बहुत तनाव से गुजर रहे हैं और इससे  उनके तनाव में बढ़ोतरी होगी जो जनवरी से ही मॉक टेस्ट आदि आदि ले कर बोर्ड की परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे। ये फैसला  पूरी तरह से मनमाना और अवैध है और संविधान के अनुच्छेद 14 के प्रावधान के खिलाफ जाता है। चूंकि दिल्ली एनसीआर, राजधानी होने के कारण  यहां सभी राज्यों के लोग हैं और चूंकि इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के माध्यम से लीक  हुआ है, इसलिए इसकी बहुत बड़ी आशंका है कि लीक केवल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और हरियाणा तक सीमित नहीं है।

याचिकाकर्ताओं ने कहा, "इसलिए, केवल दिल्ली एनसीआर और हरियाणा के लिए पुन: परीक्षा आयोजित करने का निर्णय मनमाना और अवैध है और इसे रद्द करना चाहिए।"

 वे कहते हैं कि यदि पुन: परीक्षा आयोजित की जानी है तो कुछ क्षेत्रों तक इसे सीमित करना समाधान नहीं है। छात्राओं ने कहा है कि बिहार में इसी तरह की कदाचार की खबरें भी थीं और लुधियाना के एक छात्र की रिपोर्ट है कि उसने इस तरह के घटनाक्रम के मद्देनजर प्रधान मंत्री को शिकायत की थी।

 दोबारा परीक्षा  से कलंक लगेगा 

उन्होंने यह भी दलील दी कि दिल्ली एनसीआर और हरियाणा को परीक्षा लीक के केंद्र के रूप में पहचानने और केवल इसी क्षेत्र में फिर से परीक्षा करानेइस क्षेत्र के छात्रों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा क्योंकि वे परीक्षा के के क्षेत्र में कदाचार के  कलंक से जुडे़ रहेंगे। ये  संविधान के अनुच्छेद 21 में गठित रूप में सम्मान के साथ जीवन के अधिकार के खिलाफ है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि ग्यारहवीं कक्षा के लिए नया सत्र 16 अप्रैल से शुरू हो रहा है और कई छात्र नए स्कूलों में दाखिला लेना चाहते हैं जो दसवीं कक्षा के परिणामों पर आधारित है।

 "... क्योंकि केवल दिल्ली एनसीआर और हरियाणा के छात्र ही इस तरह की परीक्षा उत्तीर्ण करेंगे, वे अपने काउंटर पार्ट्स की तुलना में असल में प्रभावित होंगे।"

सीबीएसई छात्रों में तनाव बढ़ा रहा है 

याचिकाकर्ता ने दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा के खिलाफ भी कहा है जिसे 2017-18 से अनिवार्य कर दिया था। उन्होंने  कहा कि एक तरफ  सीबीएसई छात्रों पर कम परीक्षा का दबाव डालने की बात करती है लेकिन दूसरी तरफ  परीक्षाओं के भीषण कार्यक्रम बनाए गए हैं। उन्होंने प्रस्तुत किया कि अनिवार्य बोर्ड परीक्षाओं के कारण छात्रों को जनवरी, 2018 से शुरू होने वाली तैयारी और मॉक परीक्षाओं की लंबी कठिन प्रक्रिया से गुजरना पड़ा है।

अब  सीबीएसई द्वारा तैयारी की कमी और लापरवाही के कारण  यह जुलाई महीने तक जारी रहेगा।

इस प्रकार छात्रों को सीबीएसई की तैयारी की कमी और  भ्रष्ट अधिकारियों के कारण सात महीने की लंबी अवधि के लिए भुगतना होगा। इसके अतिरिक्त इसने छात्रों के लिए अनावश्यक भ्रम और तनाव पैदा कर दिया है क्योंकि कुछ परीक्षा अभी भी लंबित हैं। इस प्रकार छात्रों की खुद की कोई गलती होने के बावजूद लंबे वक्त तक कठिनाई से गुजरना होगा।”

केवल दिल्ली-एनसीआर में दोबारा परीक्षा एक राजनीतिक कदम 

याचिका में दावा किया गया है कि "दिल्ली एनसीआर और हरियाणा में फिर से परीक्षा को सीमित करना एक राजनीतिक कदम है क्योंकि अगले कुछ महीनों में कर्नाटक,  राजस्थान और मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में चुनाव हैं।”

 "यह बिना किसी आधार के किया जा रहा है जो लीक परीक्षा पत्रों और सीबीएसई के भाग में लापरवाही के परिणामस्वरूप हुई क्षति को ढंकने के लिए किया गया है।” याचिका में कहा गया।


 

Similar News