BCI ने सासंद- वकीलों के जजों के महाभियोग प्रक्रिया में हिस्सा लेने पर रोक लगाई
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्रस्ताव पास किया है कि उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही में भाग लेने वाले वकील-संसद सदस्यों को प्रैक्टिस करने या न्यायाधीश / न्यायालय के सामने पेश होने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर विचार करते हुए ये प्रस्ताव 18 मार्च को पारित किया गया था। काउंसिल ने उप-समिति की रिपोर्ट को इस हद तक स्वीकार कर लिया कि विधायकों व सासंदों को कानून का अभ्यास करने से रोका नहीं जा सकता। हालांकि समिति ने भी न्यायाधीशों / कोर्ट के समक्ष सांसदों को पेश होने से रोकने के नियमों को बनाने का सुझाव दिया था, जिनके न्यायाधीश (जांच) अधिनियम 1968 के तहत जज को हटाने का प्रस्ताव लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा या राज्यसभा के अध्यक्ष द्वारा स्वीकार कर लिया गया था। परिषद ने कहा कि इस रिपोर्ट को 'संसद में न्यायाधीशों की हटाने की कार्यवाही से संबंधित हिस्से को छोड़कर' स्वीकार करता है। कपिल सिब्बल, विवेक तन्का,पी चिदंबरम, एएम सिंघवी, केटीएस तुलसी और सलमान खुर्शीद प्रमुख वकील सांसद हैं, जो संसद में कांग्रेस पार्टी के सांसद हैं। इससे पहले ऐसी रिपोर्टें थी कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने कुछ अन्य विपक्षी दलों के साथ भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के महाभियोग चलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि बीसीआई का निर्णय अनुशंसित नहीं है लेकिन ये प्रैक्टिस करने वाले सभी वकीलों के लिए बाध्यकारी है। हम किसी का नाम नहीं ले रहे हैं लेकिन अगर कोई इस शर्त को तोड़ता है तो हम कानूनी कार्रवाई करेंगे।
इससे कांग्रेस के दिग्गजों और वरिष्ठ वकीलों जैसे कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, केटीएस तुलसी और पी चिदंबरम को प्रभावी ढंग से रोका जा सकेगा।