नेशनल हेराल्ड केस: दिल्ली हाईकोर्ट ने यंग इंडियन को 10 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया [आर्डर पढ़े]
दिल्ली उच्च न्यायालय ने यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी प्रमुख हितधारक हैं, को आयकर विभाग द्वारा मांगे गए 249.15 करोड़ में से 10 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट्ट और न्यायमूर्ति एके चावला ने आईटी विभाग के पास आधी राशि 31 मार्च से पहले और 15 अप्रैल तक शेष राशि जमा करने की इजाजत दी है। आईटी विभाग को निर्देश दिया है कि वह इस शर्त के पूरा होने पर इकाई के खिलाफ कार्रवाई न करें।
कोर्ट यंग इंडियन द्वारा दायर एक याचिका सुन रहा है जिसमें न्यायालय को उसके खिलाफ शुरू की आयकर की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी। कंपनी ने तर्क दिया है कि मूल्यांकन अधिकारी (एओ) द्वारा अपनाए गए मूल्यांकन के तरीके पर सवाल उठाते हुए टैक्स विंग की मांग प्रथम दृष्ट्या असमर्थनीय है।
कंपनी के लिए उपस्थित वरिष्ठ एडवोकेट अरविंद दातार ने प्रस्तुत किया कि किसी भी राशि का भुगतान करने के लिए उसकी कोई परिसंपत्ति या आसानी से उपलब्ध संसाधन नहीं हैं और यदि आवश्यक हो तो इच्छुक व्यक्तियों से 5 करोड़ रुपये कठिनाई से लिए जा सकते हैं।
दूसरी ओर राजस्व विभाग ने एओ द्वारा अपनाई गई वैल्यूएशन पद्धति को उचित ठहराया था और कहा था कि कंपनी को पूरी रकम का कम से कम 20% जमा करना चाहिए। उसने आगे बताया गया था कि कंपनी की अपील आयकर आयुक्त (ए) द्वारा योग्यता के आधार पर सुनी जा रही है और मांग की कि किसी भी अंतरिम आदेश को रोकना चाहिए, यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पर्याप्त राशि 31 मार्च से पहले जमा की जाए।
अब 24 अप्रैल को मामले की सुनवाई होगी।
नेशनल हेराल्ड केस
“ नेशनल हेराल्ड मामले" के रूप में प्रसिद्ध मामला एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) से जुड़ा है जो तीन समाचार पत्रों का प्रकाशक है जिनमें नेशनल हेराल्ड भी शामिल है। भारत के पहले प्रधानमंत्री बनने से पहले जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्थापित और संपादित एक अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र। एजीएल ने 2008 में करीब 90 करोड़ रुपये के कथित अवैतनिक ऋण के बाद इसे बंद कर दिया था।
उस वक्त भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने नवंबर 2012 में सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर अपनी निजी कंपनी यंग इंडियन के जरिये AJL को हासिल करने के लिए धोखाधड़ी और भूमि अधिग्रहण के आरोप की शिकायत दर्ज कराई थी जो जो नवंबर 2010 में 50 लाख रुपये में शुरु की गई थी। स्वामी ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी ने वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए एजीएल को शून्य ब्याज पर 90 करोड़ रुपये से अधिक लोन दिया था। उन्होंने तर्क दिया कि ये जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 की धारा 29 ए और आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 13 ए का उल्लंघन था। आगे एजेएल की खरीद ने यंग इंडियन को उस राशि को वसूलने का अधिकार दिया जिस राशि को कांग्रेस पार्टी ने दिया था।
ऐसे लेन-देन को उजागर करते हुए दोनों पर धोखाधड़ी और धनराशि का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया था।
इसके बाद यंग इंडियन ने पिछले साल दिल्ली उच्च न्यायालय से उसके खिलाफ की गई कार्यवाही पर रोक लगाने के साथ-साथ मामले के संबंध में इसके खिलाफ जारी किए गए पुनर्नर्षण नोटिस को रद्द करने की मांग की। हालांकि कोर्ट ने कंपन को निर्देश दिया था कि वह टैक्स प्राधिकरण से संपर्क करे।