वृहस्पतिवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने दुमका की ट्रेज़री से अवैध निकासी मामले में अपने फैसले को आगे के लिए टाल दिया। कोर्ट ने यह फैसला आरजेडी नेता लालू प्रसाद की पैरवी कर रहे बचाव पक्ष के वकील के इस आग्रह पर कि कोर्ट घोटाले की इस अवधि के दौरान महालेखाकार की भूमिका के बारे में उपयुक्त आदेश दें।
लालू के वकील ने सोमवार को शिव पाल सिंह के विशेष कोर्ट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 319 के तहत एक अपील दायर कर कहा था कि एएजी अथॉरिटीज के खिलाफ सम्मन जारी किया जाए। इस अपील में कहा गया था कि महालेखाकार ने 1991 और 1996 के बीच की जो रिपोर्ट भेजी है उसमें पशुपालन विभाग में किसी भी तरह की फर्जी निकासी का जिक्र नहीं किया है।
याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि 1995 की रिपोर्ट पीके मुखोपाध्याय ने भेजी थी। बीएन झा उस समय उप महालेखाकार थे प्रमोद कुमार वरिष्ठ लेखा अधिकारी थे।
सुनवाई के दौरान वृहस्पतिवार को सीबीआई के वकील ने कोर्ट से यह कहते हुए फैसला सुनाने का आग्रह किया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 6 फरवरी तक निपटाने का निर्देश दिया है।
बचाव पक्ष के वकील से कुछ सवाल पूछने के बाद जज ने कहा कि इस मामले पर फैसले को शुक्रवार तक लिए स्थगित कर दिया जाता है।
इस मामले में 31 आरोपी हैं जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्रा, मंत्री विद्यासागर निषाद, पीएसी के पूर्व अध्यक्ष जगदीश शर्मा और ध्रुव भगत, विधायक आरके राणा शामिल हैं। इनके अलावा पूर्व सचिव बेक जूलियस, पीसी सिंह, महेश प्रसाद, पूर्व डिविजनल आयुक्त एमसी सुबर्नो, पूर्व आयकर आयुक्त एसी चौधरी और पूर्व क्षेत्रीय निदेशक ओपी दिवाकर भी आरोपी हैं।