सीलिंग में बाधा डालने वाले MLA और पार्षद को सुप्रीम कोर्ट ने दी चेतावनी, कहा CM या PM के खिलाफ अपमानजनक शब्द नहीं
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में मॉनीटरिंग कमेटी द्वारा दिल्ली में चलाए जा रहे सीलिंग अभियान में रुकावट पैदा करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के विधायक ओपी शर्मा और पार्षद गुंजन गुप्ता को फटकार लगाते हुए अवमानना मामले से मुक्त कर दिया।
जस्टिस मदन बी लोकुर की बेंच ने कोर्ट में मौजूद दोनों नेताओं से कहा कि वो अवरोध नहीं डाल रहे थे लेकिन मुख्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे जबकि इस मामले से मुख्यमंत्री का कोई लेना देना नहीं है।
पीठ ने कहा कि इस तरह कोई भी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री के खिलाफ नारेबाजी या अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकता क्योंकि वो दूसरी पार्टी के हैं। ये संस्थान का निरादर है।
इससे पहले दोनों ने कोर्ट से बिना शर्त माफी मांग ली थी।
दरअसल 9 फरवरी को दिल्ली पुलिस को बिना डर और किसी भी तरह से प्रभावित हुए बिना कि अपराधी एक बड़ी मछली है, उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश देने के साथ साथ न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने दिल्ली में भाजपा विधायक ओपी शर्मा और पार्टी की नगर निगम पार्षद गुंजन गुप्ता को पूर्वी दिल्ली के शाहदरा में अनधिकृत वाणिज्यिक इकाइयों की सीलिंग में बाधा डालने के लिए नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए।
दोनों को 6 मार्च को अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा गया था।
6 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सीलिंग के मुद्दे पर डीडीए की खिंचाई की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों ने पिछली त्रासदियों से कुछ भी नहीं सीखा और ये तक कह दिया कि क्या डीडीए का पूरा नाम ‘दिल्ली डेस्ट्रेक्शन (विनाश ) प्राधिकरण ‘ है।
दरअसल हाल ही में डीडीए ने आवासीय क्षेत्रों में दुकान-सह-निवास भूखंडों और परिसरों के लिए एकीकृत फ्लोर एरिया रेश्यो (एफएआर) लाने का प्रस्ताव दिया है और यह एक ऐसा कदम है, जो सीलिंग के खतरे का सामना करने वाले व्यापारियों को बड़ी राहत दे सकता है। इसके लिए प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
"निगरानी समिति को उचित सुरक्षा प्रदान करें, ताकि वे अपने कर्तव्यों को पूरा करने की स्थिति में हो, भले ही राज्य के अधिकारी कानून के मुताबिक अपना कर्तव्य पूरा करने के लिए उपयुक्त कदम ना उठाएं,” न्यायमूर्ति लोकुर ने आदेश दिया था।
अदालत की सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने बताया था कि सीलिंग के अभियान के दौरान शर्मा और गुप्ता ने इस अभियान को रुकवा दिया बावजूद इसके कि ये अभियान सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर चल रहा है।
बेंच ने कहा था, “ निगरानी समिति इस अदालत के निर्देशों के तहत काम कर रही है, इसलिए उसके कार्यों में कोई हस्तक्षेप अदालत की अवमानना होगा।"
"आप दबाव में क्यों झुकते हैं? आप दिल्ली के निवासियों के एक बड़े हिस्से के हितों को नहीं देख रहे हैं। अब आप मास्टर प्लान में परिवर्तन करना चाहते हैं। क्या आप दिल्ली को नष्ट करने की योजना बना रहे हैं? डीडीए अब
दिल्ली विनाश प्राधिकरण बन रहा है। आपने उपहार आग त्रासदी, मुंबई में हाल ही में कमला मिल्स की घटना या बवाना आग से कुछ नहीं सीखा। दिल्ली में हर कोई अपनी आँखें बंद किए है। आप बस कुछ होने का इंतज़ार कर रहे हैं.. आपदा का इंतजार ", जस्टिस मदन बी लोकुर ने 6 फरवरी को कहा था।