एक आदमी ने लोक अदालत से किया धोखाधड़ी, गुजरात हाई कोर्ट ने उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया [आर्डर पढ़े]

Update: 2018-02-18 14:31 GMT

गुजरात हाई कोर्ट ने उस व्यक्ति के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है जिसने बिना भुगतान के चेक वापसी के आरोप में न्यायिक हिरासत से जमानत प्राप्त किया था। लोक अदालत ने उसको इस आधार पर जमानत दे दी कि उसने शिकायतकर्ता के साथ मामला सुलझा लिया है और वह एक साल के अंदर पूरी राशि चुका देगा।

इस मामले को सीधे-सीधे धोखाधड़ी बताते हुए न्यायमूर्ति जेबी पर्दीवाला ने उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया और उसको दो सप्ताह के अंदर अदालत में हाजिर होने को कहा है।

इस बारे में याचिका सोनल हार्दिकभाई ठक्कर ने दायर की थी जिन्होंने लोक अदालत के अगस्त में दिए गए फैसले को निरस्त करने की अपील की थी।

याचिकाकर्ता ने नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के अधीन एक चेक के बिना भुगतान वापस होने की शिकायत की थी।

अतरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने प्रतिवादी को दोषी माना जिसने इस आदेश को 30 अगस्त 2016 को लोक अदालत में चुनौती दी और मामले को सुलझाने की बात कही।

दनों पक्षों ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के समक्ष मामले को सुलझा लेने की बात कही।

इसको देखते हुए अदालत ने प्रतिवादी को जेल से छोड़ देने का आदेश दिया और उसे याचिकाकर्ता को 12.5 लाख रुपए का भुगतान एक साल के अंदर करने को करने और 50 हजार रुपए उसके जेल से रिहा होने के तीन माह के भीतर चुकाने को कहा।

हालांकि, प्रतिवादी ने याचिकाकर्ता को एक पैसा नहीं दिया।

गौर करने वाली बात है कि हाई कोर्ट ने प्रतिवादी को 29 जनवरी को नोटिस जारी किया था पर वह कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ।

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