जांच पूरी होने तक कमर्चारी को गुजारा भत्ता प्राप्त करने का अधिकार है : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

Update: 2018-02-16 13:49 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने वृहस्पतिवार को कहा कि जांच के दौरान कर्मचारी को गुजारा भत्ता प्राप्त करने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि उसको यह वित्तीय मदद देने से इनकार करने का मतलब उसको खुद के बचाव का मौक़ा नहीं देने जैसा होगा।

न्यायमूर्ति एमबी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, “कमर्चारी को उसके खिलाफ हो रही जांच चलने तक गुजारा भत्ता प्राप्त करने का अधिकार है क्योंकि अगर उस कर्मचारी के पास पैसा नहीं है तो इस बात की अपेक्षा करना अनर्गल है कि वह कर्मचारी इस जांच में सार्थक रूप से भागीदारी करेगा।

न्याय तक पहुँच होना महत्त्वपूर्ण है और यह हर व्यक्ति को उपलब्ध है, यहाँ तक कि एक अपराधी को भी, यहाँ तक कि अपराधी को मुफ्त कानूनी मदद भी दी जाती है। विभागीय जांच की स्थिति में, वह कर्मचारी ज्यादा से ज्यादा दुर्व्यवहार का दोषी हो सकता है पर यह इस बात का आधार नहीं हो सकता कि उसे पेंशन (जहाँ भी इस तरह का मामला है) या गुजारा भत्ता (जहाँ भी इस तरह का मामला है) नहीं दिया जाए।”

कोर्ट यूको बैंक की एक अपील पर सुनवाई कर रहा है जिसने अपने एक कर्मचारी राजेन्द्र शंकर शुक्ला के खिलाफ एक चेक के बिना भुगतान लौटने (dishonor) की वजह से अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की है। बैंक ने आरोप लगाया है कि शुक्ला पूरी ईमानदारी और सच्चाई से अपनी ड्यूटी करने में विफल रहे।”

सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि हाई कोर्ट की इस बात से सहमति जताई कि अगर एक बैंक कर्मचारी द्वारा जारी किया गया चेक वापस हो जाता है तो इसके लिए कार्रवाई निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 के तहत शिकायतकर्ता को करनी चाहिए। पर इस तरह की बातें यूको बैंक अधिकारी कमर्चारी (व्यवहार) विनियमन, 1976 के अधीन दुर्व्यवहार का मामला नहीं बनता है।

कोर्ट ने कहा कि शुक्ला को जांच के दौरान न तो पेंशन दिया गया और न ही कोई गुजारा भत्ता जिसकी वजह से इस जांच में प्रभावी ढंग से भाग नहीं ले सका।

इसके बाद कोर्ट ने बैंक की आलोचना की उसने इस तरह की याचिका दायर की और उस पर एक लाख का जुर्माना लगाया।


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