दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और रिजर्व बैंक से कहा, 50 और 200 रुपए के नए नोटों से दृष्टि दिव्यांगों को होने वाली कठिनाइयों की जांच करें
दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले दिनों केंद्र और रिजर्व बैंक को नोटिस जारी कर दृष्टि दिव्यांगों को 50 और 200 रुपए के नए नोटों को पहचानने में होने वाली कठिनाइयों की जांच करने को कहा है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने कहा, “यह एक ऐसा मुद्दा है जो आप लोगों को मिल बैठकर सुलझाना है। आप (सरकार, रिजर्व बैंक और याचिकाकर्ता) आपस में मंत्रणा कर इसे सुलझाइये।”
इस बारे में याचिका तीन एडवोकेटों रोहित दंद्रियाल, कुमार विवेक और अमृतांशु बर्थ्वाल ने कंपनी सचिव राहुल कुमार और ऑल इंडिया कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ब्लाइंड के साथ मिलकर दायर किया है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि रिजर्व बैंक ने इन्ताग्लियो में 10 रुपए के नोटों को छोड़कर सभी नोटों पर एक ख़ास तरह का विशेष फीचर उपलब्ध कराया है। उदाहरण के लिए 20 रुपए के नोटों पर उर्ध्व आयत बने हुए हैं जबकि 50 रुपए के नोटों पर वर्ग हुआ करते थे। ये विशेष फीचर दृष्टि दिव्यांगों को इन नोटों की पहचान में मदद मिलती है।
हालांकि, यह आरोप लगाया गया है कि नए नोटों में इस तरह की पहचान का कोई फीचर नहीं है। उनका कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि “जो देख नहीं सकते उनको इन नोटों को पहचाने में कठिनाई होती है। इससे दिव्यांगों के संवैधानिक अधिकारों का हनन होता है...”।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन से यह बताने को कहा कि हर नोट एक ही साइज का क्यों नहीं हो सकता जैसे कि पहले था। उसने कहा कि अधिकारियों को दृष्टि दिव्यांगों के लिए काम करने वाले विशेषज्ञों से पहले मशविरा करनी चाहिए थी। इस पर जैन ने कहा कि करेंसी का डिजाइन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।
कोर्ट ने अब केंद्र से कहा है कि वह इस मामले पर अपने विचार 16 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई पर रखे।