आधार पर पांचवें दिन की सुनवाई : राज्य को डाटा संग्रहण और निजता के अधिकार को नष्ट करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता
संविधान पीठ के समक्ष आधार पर पांचवें दिन की सुनवाई में वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि निजी डाटा के संरक्षण का मौलिक महत्त्व है। दीवान ने कहा कि आधार की संरचना ऐसी है जिससे निगरानी को बढ़ावा मिलता है।
यूआईडीएआई ने अपने हलफनामे में दावा किया है कि आधार अधिनियम के तहत निजता की सुरक्षा की व्यवस्था है और इस बात से इनकार किया कि सरकार की कोई एजेंसी इन सूचनाओं को लेकर किसी व्यक्ति के प्रोफाइल के बारे में जान सकता है। दीवान ने कहा कि यह सत्य नहीं है। उन्होंने कहा कि बायोमेट्रिक केवल सेंट्रल आइडेंटिटीज डाटा रिपॉजिटरी (सीआईडीआर) के ही पास नहीं है।
उन्होंने कहा कि यूआईडीएआई ने स्टेट रेजिडेंट्स डाटा हब्स (एसआरडीएच) की स्थापना का समर्थन किया जिसके पास पंजीकृत लोगों के नाम, उनके लोकेशन और उनका आधार नंबर है। उन्होंने कहा कि जब एसआरडीएच के डाटा को मिलाया जाता है तो इससे धार्मिक और जाति आधार पर लोगों की प्रोफाइलिंग हो सकती है और किसी भी व्यक्ति को इसका निशाना बनाया जा सकता है जो उसकी निजता को नष्ट कर देगा।
दीवान ने इसके बाद एस एंड मारपर बनाम यूनाइटेड किंगडम के मामले का हवाला दिया जिसमें यूरोपियन कोर्ट ने कहा था कि किसी ऐसे गिरफ्तार व्यक्ति का डीएनए सैंपल रखना जिसे बाद में छोड़ दिया गया, उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या राज्य को लाभार्थी के हित की चिंता नहीं हो सकती कि वह उसकी पहचान को बचाए रखे यह सुनिश्चित करने के लिए उनको मिलने वाला लाभ उन्हें मिलता है कि नहीं। हो सकता है कि राजनीतिक विश्वास के लिए प्रोफाइलिंग करना उनका ध्येय न हो।
श्याम दीवान ने असहमत होते हुए कहा कि राज्य भले ही इसकी वास्तव में चिंता करता हो पर इस समय वह जो डाटा जमा कर रहा है उसको वह उचित नहीं ठहरा सकता। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने हालांकि सुझाव दिया कि लोगों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ पहुंचाने के लिए निजी डाटा को जमा करना खराब विचार नहीं भी हो सकता है। दीवान ने कहा कि वह इसके बारे में पीठ को बाद में बताएंगे।
दीवान ने कहा कि आधार डाटा को इंटरलिंक करने का मतलब है 360 डिग्री की प्रोफाइलिंग करना। श्याम दीवान ने दिल्ली में आधार के कवरेज के प्रतिशत का जिक्र किया जो कि 117 से 129 प्रतिशत है। कपिल सिबल ने मजाकिया लहजे में कहा कि इससे यह साबित होता है कि लोगों को आधार से कितना प्यार है।
दोपहर में श्याम दीवान ने मिनर्वा मिल मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा संविधान के अध्याय पांच में जिन लक्ष्यों की बात की गई है वह अध्याय तीन में दिए गए अधिकारों को जब्त किए बिना भी प्राप्त किया जा सकता है। हाल में पुत्तस्वामी (निजता) के मामले में आए हाल के फैसले में भी इसकी झलक मिलती है।
आधार पर यह बहस वृहस्पतिवार को भी जारी रहेगा।