अधिग्रहण की प्रक्रिया के शुरू हो जाने के बाद जमीन खरीदने वाला उसको चुनौती नहीं दे सकता, सिर्फ मुआवजे की मांग कर सकता है : इलाहाबाद हाई कोर्ट

Update: 2018-01-22 05:47 GMT

इलाहबाद हाई कोर्ट ने गाजीपुर के जिला मजिस्ट्रेट को दो महीने के भीतर एक व्यक्ति के मुआवाजे की अपील पर निर्णय करने का आदेश दिया है। इस व्यक्ति की जमीन राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के लिए अधिग्रहीत की गई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई व्यक्ति भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के शुरू होने के बाद जमीन खरीदता है तो वह उस प्रक्रिया को चुनौती नहीं दे सकता।

न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और अजय भनोत की पीठ ने जिला प्राधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इस व्यक्ति के आवेदन पर दो महीने के भीतर निर्णय करें।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के वकील प्रजल मेहरोत्रा ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट की अदालत में लंबित इस मामले पर शीघ्र विचार किया जाएगा।

याचिकाकर्ता सुरेन्द्र सिंह नाथ ने कोर्ट से भूमि अधिग्रहण अधिकारी/अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट जिला गाजीपुर को कोर्ट में बुलाकर मुआवजे के उनके आवेदन को शीघ्र निपटाने की अपील की थी।

यह जमीन गाजीपुर जिले के महमूदपुर पाली गाँव में है।

सुरेन्द्र नाथ ने यह जमीन उसके पहले के मालिक से 22 जुलाई 2016 को खरीदी थी और उसकी रजिस्ट्री कराई थी जिसके हिसाब से वह मुआवजे का अधिकारी है क्योंकि उसकी जमीन राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए अधिग्रहीत की गई है।

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