पीपली लाइव के निदेशक को सुप्रीम कोर्ट से राहत, रेप केस में हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर
विदेशी छात्रा से रेप का मामले में पीपली लाइव फिल्म के सह-निर्देशक महमूद फारूकी को सुप्रीम कोर्ट से बडी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले पर मुहर लगा दी है जिसमें उन्हें संदेह का लाभ देते हुए रेप केस से बरी कर दिया गया था।
शुक्रवार को छात्रा की अपील पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर राव ने अमेरिकी रिसर्च स्कॉलर की याचिका खारिज करते हुए कहा कि ये एक कठिन केस था और हाईकोर्ट ने अच्छा फैसला सुनाया है। दोनों एक दूसरे से अंजान नहीं थे और उनके बीच करीबियां थीं।
जब याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि इसके लिए शिकायतकर्ता की सहमति नहीं थी और ट्रायल कोर्ट में इस पर सुनवाई नहीं हुई थी।
तो बेंच ने फारुकी को भेजी एक ईमेल को पढने को कहा। बेंच ने कहा कि कितने केसों में इस तरह पीडित “ आई लव यू” बोलती है और ई मेल में कहा है कि उसने सहमति जताई थी। बेंच ने कहा, “ आप अनुभवी वकील है, बताइए कि कितने मामलों में पीडिता यौन हमले के बाद आई लव यू बोलती है? “
बेंच ने ये भी सवाल उठाया कि दोनों कितनी बार आपस में मिलते थे और शराब भी पीते थे।कोर्ट ने इस अपील पर सुनवाई से इंकार कर दिया।
गौरतलब है 25 सितंबर 2017 को विदेशी छात्रा से रेप का मामले में पीपली लाइव फिल्म के सह-निर्देशक महमूद फारूकी को राहत देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। हाईकोर्ट ने साकेत कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया था जिसमें उन्हें सात साल की सजा सुनाई गई थी।
फारुकी की अपील पर फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार ने कहा था कि इस मामले में सवाल ये था कि क्या ऐसी कोई घटना हुई थी या नहीं, अगर हुआ था तो क्या पीडिता की सहमति से हुआ या नहीं। क्या फारूकी पीडिता की बात समझ पाया या नही ? ऐसे में फारूकी को संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए। निचली अदालत के फैसले को रद्द किया जाता है। अपने 82 पेज के ऑर्डर में हाईकोर्ट ने हां और ना पर भी काफी लिखा है। कोर्ट ने कहा कि निर्भया केस के बाद कानून में हुए संशोधन में किसी की सहमति में हां और ना का बहुत बडा स्थान हो गया है। इसलिए किसी की ना को हमेशा ही ना नहीं माना जा सकता। कई बार ना में हां भी होता है। शिकायतकर्ता के पुराने रिकार्ड में कुछ इसी तरह की बात सामने आई है। हाईकोर्ट ने फैसले में पहले की घटनाओं का जिक्र किया है जिसमें छात्रा ने फारुकी के साथ पब में और उसके घर जाकर शराब पी और खाना खाया।
इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि छात्रा ने वारदात की सूचना देरी से पुलिस की दी। एफआईआर कराने में काफी देरी की गई। छात्रा का यह तर्क कि वह डर गई थी अमेरिका में परिवार के सपोर्ट से उसे हिम्मत आई और वह फिर उसने भारत आकर शिकायत दी संतोषनजक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इस बात का संदेह है कि छात्रा की सहमति थी या नहीं। ऐसे में संदेह के लाभ के आधार पर फारूकी को सभी आरोपों से बरी किया जाता है।
कोर्ट ने कहा कि मानव की मैमोरी हमेशा सही नहीं होती है। हमारी मैमोरी कोई रिकॉर्डर नहीं है। यह तो केवल टुकड़ों में पूर्व में हमारे साथ हुई घटनाओं को बताती है। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि छात्रा ने वारदात की सूचना देरी से पुलिस की दी। हाईकोर्ट ने ये भी माना कि फारूकी बाईपोलर डिसऑर्डर नामक मानसिक रोग से पीड़ित है। वह यह नहीं समझ पाया कि छात्रा की सहमति थी या नहीं। इस बीमारी से पीड़ित लोग जल्दी से कोई फैसला नहीं ले पाते। वह जल्द गुस्से में आ जाते हैं। इस बीमारी से ग्रसित लोग जरूरी नहीं है कि सामने वाले की बात उस संदर्भ में ही लें जिस संदर्भ में वह कह रहा है।
दरअसल अगस्त 2016 को पिपली लाइव फिल्म के सह-निर्देशक महमूद फारूकी को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 7 साल की सजा सुनाई थी। साथ ही, फारूकी पर कोर्ट ने 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। फारूकी को कोलंबिया यूनिवर्सिटी की एक अमेरिकी शोधार्थी के रेप का दोषी पाया गया था।महमूद फारूकी को 30 जुलाई 2016 को साकेत कोर्ट ने अमेरिकी महिला के साथ रेप का दोषी करार दिया था। 35 वर्षीय अमेरिकी महिला ने जून 2015 में फारूकी के खिलाफ न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाने में रेप का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। अमेरिकी महिला का आरोप था कि फारूकी ने उनके साथ दिल्ली के सुखदेव विहार में रेप किया था। महिला ने आरोप लगाया था कि जब वह अपने रिसर्च के काम से दिल्ली आई हुई थीं, तब फारूकी ने अपने आवास पर उनके साथ रेप किया। मामला 28 मार्च, 2015 का है। महिला ने कोर्ट को बताया था कि बाद में फारूकी ने ई-मेल्स के जरिए उनसे माफी भी मांगी थी। हालांकि, फारूकी ने इन आरोपों से इनकार किया था। पुलिस ने 29 जून, 2016 को अपनी चार्जशीट फाइल की थी, जिसमें इस बात का जिक्र था कि फारूकी ने अपने सुखदेव विहार स्थित आवास पर अमेरिका महिला के साथ रेप किया था।सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से महमूद फारूकी के लिए ज्यादा से ज्यादा उम्र कैद की मांग की थी। गौरतलब है कि दिसंबर, 2012 के निर्भया कांड के बाद 2013 में कड़े किए गए रेप कानून के बाद देश में पहली बार जबरन ओरल सेक्स के मामले में फारूकी को दोषी करार दिया गया था। बदले कानून में रेप के कुछ गंभीर मामलों में 10 साल तक की न्यूनतम सज़ा सजा का प्रावधान है।