पद्मावत की रिलीज को SC ने दी हरी झंडी, राज्यों के बैन नोटिफिकेशन पर रोक लगाई [आर्डर पढ़े]

Update: 2018-01-18 10:15 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म पद्मावत को 25 जनवरी को देश भर में रिलीज करने को हरी झंडी दिखा दी है।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार के रिलीज पर बैन के नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी। बेंच ने कहा कि अन्य कोई भी राज्य ऐसा आदेश जारी ना करे।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि  जब सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट जारी किया है तो राज्य सरकार कैसे रिलीज पर बैन लगा सकते हैं।

ये अभिव्यक्ति की आजादी के तहत है। उन्होंने कहा कि जब बैंडिट क्वीन रिलीज हो सकती है तो ये फिल्म क्यों नहीं। फिल्म बॉक्स आफिस पर बम साबित हो या लोग इसे ना देखने जाएं, लेकिन राज्य अपनी मशीनरी का इस्तेमाल कर इसे बैन नहीं कर सकता। संसद ने सेंसर बोर्ड को विधान के तहत अधिकार दिया है। राज्य इस तरह लॉ एंड ऑर्डर का हवाला देकर इस पर रोक नहीं लगा सकते। कानून व्यवस्था राज्यों की जिम्मेदारी है और जरूरत पडने पर सुरक्षा मुहैया कराई जाए। कोर्ट ने चारों राज्यों को नोटिस जारी किया है और 26 मार्च को अगली सुनवाई होगी।

फिल्म निर्माता की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि CBFC ने देशभर में फिल्म के प्रदर्शन के लिए सर्टिफिकेट दिया है। ऐसे में राज्यों का पाबन्दी लगाना सिनेमेटोग्राफी एक्ट के तहत संघीय ढांचे को तबाह करना है। राज्यों को ऐसा कोई हक नहीं। ये अधिकार केंद्र का है। फ़िल्म के जारी होने से पहले ही पाबन्दी का ऐलान करना गलत है। हरीश साल्वे ने कहा कि किसी दिन मैं दलील भी दूं कि कलाकारों को इतिहास से छेड़छाड़ का हक भी है। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने भी दलीलें दी।

हालांकि इससे पहले गुजरात और हरियाणा सरकार की तरफ से पेश हुए ASG तुषार मेहता ने कहा कि मामले की सुनवाई सोमवार तक टाली जाए। तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें राज्य सरकारों की तरफ से इस मामले में जवाब दाखिल करने है।फिल्म के नाम पर इतिहास से छेडछाड नहीं की जा सकती। आप इसकी आड़ में महात्मा गांधी को व्हिस्की के घूंट भरते हुए नहीं दिखा सकते। वो इस संबंध में खुफिया विभाग की रिपोर्ट पेश कर सकते हैं।

 वहीं फिल्म निर्मातों ने अपनी याचिका में इस बैन को गैरकानूनी बताया है। उनका कहना है कि सेंसर बोर्ड ने फिल्म को प्रमाणपत्र जारी किया है। नियमों के मुताबिक अगर किसी इलाके में कानून व्यवस्था बिगडती हो तो ही इस तरह का बैन लगाया जा सकता है। लेकिन राज्य सरकार इस तरह पूरे राज्य में बैन नहीं लगा सकती। राज्य सरकार को इस तरह का अधिकार नहीं है।

गौरतलब है कि इस फिल्म पर पहले से ही विवाद रहा है। देश के कई हिस्सों में इसे लेकर धरना प्रदर्शन हुआ और फिर सेंसर बोर्ड ने फिल्म का नाम बदलने व कुछ संशोधन के बाद इसे हरी झंडी दी।

वहीं पहले दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि ये काम सेंसर बोर्ड का है और किसी को भी उसमें दखल देने का अधिकार नहीं है। यहां तक कि सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों को भी बयानबाजी नहीं करनी चाहिए |


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