जिगिषा घोष हत्याकांड : दिल्ली हाईकोर्ट ने दो दोषियों की मौत की सजा उम्रकैद में तब्दील की
दिल्ली हाईकोर्ट ने आईटी पेशेवर जिगिषा घोष हत्याकांड में दोषी रवि कपूर और अमित शुक्ला को फाँसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया है जबकि तीसरे दोषी बलजीत मलिक की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा गया है।
इससे पहले जस्टिस एस. मुरलीधर और जस्टिस आई. एस. मेहता की बेंच ने मौत की सजा पाने वाले दो दोषियों और एक अन्य दोषी की निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिय था।
गौरतलब है कि 22 अगस्त 2016 को आईटी पेशेवर जिगिषा घोष हत्याकांड में साकेत कोर्ट ने दो दोषियों रवि कपूर और अमित शुक्ला को फांसी और बलजीत मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। तीनों पर नौ लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। इसमें से छह लाख रुपये जिगिषा के माता-पिता को दिए जाएंगे।कोर्ट ने कहा था कि पीड़ित माता-पिता को जो जख्म मिले उनका कोई इलाज नहीं है और छह लाख रुपये पर्याप्त नहीं लगते।
अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने कहा था कि पुलिस की जांच व साक्ष्यों से साफ है कि तीनों ने लूट के बाद जिगिषा की हत्या की। उनका कृत्य अत्यंत गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में जिस तरह से बढ़ोतरी हो रही है, उसमें यह जरूरी हो जाता है कि तीनों दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा सुनाई जाए वर्ना समाज में गलत संदेश जाएगा। तीनों ने जिगिषा को अगवा करने के बाद कई घंटे तक महज इस वजह से जिंदा रखा कि वह उसके एटीएम से पैसे निकाल सकें।
प्रोबेशनरी अफसर की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कोर्ट ने माना कि दोषी रवि कपूर व अमित शुक्ला समाज के लिए खतरा हैं। उनका पिछला रिकॉर्ड व जेल की रिपोर्ट दर्शाती है कि उनमें सुधार की गुंजाइश नहीं है। बलजीत सिंह का पिछले दो साल का रिकार्ड साफ रहा है और उसके सुधरने के आसार हैं।
गौरतलब है कि 28 वर्षीया जिगिषा घोष नोएडा स्थित एक मैनेजमेंट कंसल्टेंसी फर्म में बतौर ऑपरेशन मैनेजर कार्यरत थी। 18 मार्च, 2009 को तड़के 4 बजे दफ्तर की कैब ने उसे वसंत विहार स्थित घर के निकट छोड़ा। इसके बाद उसका अपहरण कर लिया गया और बाद में हत्या कर दी गई। उसका शव 21 मार्च को हरियाणा में सूरजकुंड के जंगल में मिला था। बाद में दिल्ली पुलिस ने आरोपियों को एटीएम और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपियों को गिरफ्तार किया।
साकेत कोर्ट ने अमित शुक्ला व बलजीत मलिक को आइपीसी की धारा 364 (अगवा करने) 302 (हत्या) 201 (साक्ष्य मिटाने व गुमराह करने) 394 (डकैती के लिए हमला) 468 (धोखाधड़ी के लिए सजिश) 471 (दस्तावेजों से छेड़छाड़) 482 (गलत निशानदेही) व 34 (समूह में अपराध) के तहत दोषी माना है। रवि कपूर को इन धाराओं के अतिरिक्त आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत भी दोषी माना था। इसके बाद मामले को दिल्ली हाईकोर्ट को भेज दिया गया था।
वहीं इन्हीं आरोपियों पर एक 2008 में वसंत कुंज के पास टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या का ट्रायल भी चल रहा है।