झारखंड हाई कोर्ट के वेबसाइट पर जमानत के परस्पर विरोधी आदेश अपलोड : सुप्रीम कोर्ट ने विवाद सुलझाया [आर्डर पढ़े]
एक बहुत ही अजीब सा वाकया तब हुआ जब झारखंड हाई कोर्ट के वेबसाईट पर एक जमानत के बाए में विरोधाभासी आदेश अपलोड कर दी गए। एक रिपोर्ट में झारखंड की कांग्रेस नेता निर्मला देवी के पति की जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी जबकि दूसरे में उन्हें जमानत दे दी गई थी।
विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील विवेक तंखा जिसने कांग्रेस नेता की पैरवी की, ने कोर्ट का ध्यान इस विरोधाभासी आदेश की और दिलाया जिसे हाई कोर्ट के वेबसाइट पर शुरू में अपलोड किया गया था। पर बाद में इसे हटा दिया गया।
आदेश के पहले हिस्से में जमानत की याचिका को रद्द करने का आदेश अपलोड किया गया था जबकि इसके बाद जो दो-पृष्ठ का दूसरा आदेश अपलोड किया गया था उसमें जमानत की याचिका स्वीकृत कर ली गई थी और याचिकाकर्ता योगेन्द्र साव को 50 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत पर छोड़ने का आदेश दिया गया था।
न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति नागेश्वर राव की पीठ ने कहा, “हम इस मामले को गंभीरता से लेते हैं और इसे न्याय प्रशासन को बदनाम करने की कोशिश मानते हैं।”
पीठ ने इसके बाद झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से इस मामले की जांच कराने का आग्रह किया कि इन आदेशों का स्रोत क्या है जिसे वेबसाइट पर डाला गया और फिर उसे हटा लिया गया।
इस निर्देश के बाद हाई कोर्ट के कार्यवाहक न्यायमूर्ति डीएन पटेल ने बेंच के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश की।
मामले पर विराम लगाते हुए बेंच ने कहा, “हमें कार्यवाहक न्यायाधीश की रिपोर्ट पढी है और हमें नहीं लगता कि इस बारे में आगे किसी तरह का आदेश देने की जरूरत है।”
बेंच ने निर्मला देवी और योगेन्द्र साव दोनों को एक-एक लाख रुपए के मुचलके और इतनी ही राशि के दो स्योरिटी पर जमानत पर रिहा करने का आदेश भी दिया।