काम के कारण तनाव की वजह से वकील बुरी आदत और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से ग्रस्त हो सकते हैं : न्यायमूर्ति चंद्रचूड़
जिस तरह से देश के प्रमुख विधि संस्थानों में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं वह व्यवस्थागत गड़बड़ियों की और संकेत है |
वकीलों का कार्य कई बार बहुत ही तनाव पैदा करने वाला होता है और इस वजह से वकीलों को बुरी आदत लगने की आशंका ज्यादा होती है। इनमें आम लोगों की तुलना में तनावग्रस्त होने की आशंका ज्यादा होती है। सुप्रीम कोर्ट के वकील डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली में क़ानून के पेशे पर हार्वर्ड लॉ स्कूल सेंटर की और से आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही।
सेंटर के इस कार्यक्रम में ‘द इंडियन लीगल प्रोफेशन इन द एज ऑफ़ ग्लोबलाइजेशन’ नामक पुस्तक को लांच किया।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि देश में एक नई कॉर्पोरेट लीगल संरचना उभर रही है और इसके वजह से रोजगार का नया बाजार भी बन रहा है। उन्होंने देश में कानूनी शिक्षा सहित कानूनी पेशे पर इसके असर, मुफ्त कानूनी सलाह, कॉर्पोरेट सोशल उत्तरदायित्व, जेंडर और पेशेवर दर्जों को इससे मिल रही चुनौती की भी चर्चा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस समय देश में जिस तरह का कॉर्पोरेट लीगल मॉडल चल रहा है, जो कि वैसे काफी हद तक एंग्लो-अमेरिकन मॉडल से प्रभावित है, अपने मौलिक रूप में अभी भी घालमेल वाला कॉर्पोरेट लीगल सिस्टम है। क्योंकि आज भी परिवार और साम्प्रदायिक संबंधों जैसे सांस्कृतिक कारक इनके लिए प्रासंगिक हैं।
इस समारोह की मेजबानी सेंटर के कानूनी पेशे के डायरेक्टर डेविड बी विल्किंस ने की और इसमें वरिष्ठ एडवोकेट एफएस नरीमन भी मौजूद थे। इस समारोह में मुख्य भाषण न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने दिया।