बलात्कार की शिकार को बलात्कारी के बच्चे को जन्म देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट [आर्डर पढ़े]
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा है कि बलात्कार की शिकार को इस बात के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता कि वह बलात्कारी के बच्चे को जन्म दे। और अगर मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 की शर्तें पूरी होती हैं तो बलात्कार की शिकार महिला के गर्भ को नष्ट किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति सुजोय पॉल ने एक माँ के इस अनुरोध पर गौर करते हुए यह बात कही जिसने अपने अवयस्क बेटी के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति मांगी थी। उसकी बेटी के साथ कथित रूप से बलात्कार हुआ था।
कोर्ट ने कहा कि बलात्कार की पीड़ित/अभिभावक को यह अधिकार है कि वह गर्भ को समाप्त किए जाने के बारे में निर्णय लें और यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनको प्राप्त है।
कोर्ट ने कहा कि क़ानून के मुताबिक़ बलात्कार की शिकार की दो या उससे अधिक डॉक्टरों से जांच होनी चाहिए जो कि इस केस में नहीं हुआ और इसलिए उसे इस तरह की शर्त के पूरा हुए बिना गर्भपात की इजाजत नहीं दी जा सकती।
कोर्ट ने इसके बाद आदेश दिया कि इस आदेश की प्राप्ति के 24 घंटे के अंदर एक कमिटी गठित की जाएगी जो कि 24 घंटे के भीतर इस लड़की की जांच करेगी। कोर्ट ने कहा, “अगर कमिटी यह सुझाव देती है कि गर्भ को अधिनियम की धारा 3 और 5 के तहत समाप्त किया जा सकता है तो उसे तत्काल इसकी इजाजत दे दी जाएगी।
कोर्ट ने उप महाधिवक्ता को सभी संबंधित लोगों को इस आदेश की जानकारी दने का आदेश देते हुए कहा, “यह मामला काफी अर्जेंट है। इसलिए प्रतिवादी का यह कर्त्तव्य है कि वह इस आदेश पर निर्धारित अवधि के भीतर कार्रवाई करे।”