मद्रास हाई कोर्ट ने कहा, आरोपी के आवाज का सैंपल लेने में कुछ भी अवैध नहीं [आर्डर पढ़े]

Update: 2017-12-04 14:24 GMT

मद्रास हाई कोर्ट ने दो फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि ट्रायल कोर्ट का वह आदेश सही है जिसमें अभियोजन को इस बात की इजाजत दी गई थी कि वह आरोपी के आवाज का नमूना ले सकते हैं | इस नमूने का आरोपी का टैप किए गए आवाज से तुलना होगी ताकि छानबीन में मदद मिले।

हाई कोर्ट के जस्टिस जी. जयकृष्णन ने कहा कि आवाज का नमूना  लेना गलत नहीं है। आरोपी की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि धारा 311ए सिर्फ लिखावट के सैंपल की बात कहता है, आवाज का नहीं। हाई कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि आवाज के सैंपल के जरिये वोकल कॉर्ड के वेव को देखा जाता है। यह शारीरिक परीक्षण है और इसे टेस्टिमोनियल नहीं माना जा सकता है। ये दलील गलत है कि अभियोजन पक्ष को ऐसा करने का यानी ऐसा सैंपल लेने का अधिकार नहीं है।

अगर आवाज किसी भी ट्रायल का विषय वस्तु है तो फिर उसे चुप रहकर दबाया नहीं जा सकता। यह ऐसा शारीरिक परीक्षण है जिसमें किसी भी तरह की कोई प्रताड़ना या अन्यथा परेशानी नहीं है। इसमें किसी भी बाहरी बल का प्रयोग नहीं होता है। इसके लिए स्पेक्ट्रोग्राफ तकनीक अपनाई जाती है। जांच अधिकारी कुछ सवाल आरोपी के सामने रखते हैं और उसका उसे जवाब देना होता है और इस दौरान वोकल कॉर्ड के उतार चढाव का परीक्षण होता है और  यह टेस्टिमोनियल साक्ष्य नहीं है।


Full View

Full View

Similar News