जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने ऐहतियातन हिरासत में लिए गए ‘पत्थरबाज’ को रिहा करने को कहा [आर्डर पढ़े]

Update: 2017-12-01 16:13 GMT

अदालत ने साफ किया है कि पत्थरबाज होना पर्याप्त कारण नहीं हो सकता कि उन्हें ऐहतियातन हिरासत में रखा जाए

एक आदमी जिसे पत्थरबाज बताकर पुलिस ने ऐहतियातन हिरासत में लिया था उसे जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने रिहा करने का आदेश पारित किया है। हाई कोर्ट ने कहा कि ऐहतियातन हिरासत में रखना मौजूदा आम कानून का विकल्प नहीं हो सकता। ऐसा नहीं हो सकता कि अमुक आदमी अपराध कर सकता है इसलिए उसे बंद कर दिया जाए।

इशाक अहमद कुमार पर आरोप था कि उसने पत्थरबाजी की है और वह पत्थरबाज है। बारामूला के डीएम ने जम्मू कश्मीर सेफ्टी एक्ट 1978 की धारा-8 का इस्तेमाल करते हुए उसे हिरासत में लेने का आदेश दिया था। ऐहतियातन हिरासत में लिया गया था। इस धारा का इस्तेमाल कर हिरासत में रखने का प्रावधान है। इस फैसले को याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

हाई कोर्ट ने कहा कि इसमें संदेह नहीं है कि किसी  भी इस तरह के अपराध के लिए सजा का प्रावधान है लेकिन बिना ट्रायल के इस तरह ऐहतियात के नाम पर लोगों को हिरासत में नहीं रखा जा सकता। ये अवांछनीय है। हाई कोर्ट के जस्टिस नासी रैबस्टन ने कहा कि ऐहतियातन हिरासत इस तरह से नहीं हो सकता। किसी को बिना ट्रायल के अंदर रखने का ये हथियार नहीं बनाया जा सकता। इस मामले में हिरासत में रखने का फैसला लंबे समय से था और 10 महीने से उक्त शख्स अंदर था। हाई कोर्ट ने इस हिरासत को खारिज कर दिया और कहा कि इतने लंबे समय तक हिरासत में रखने के मामले को जस्टिफाई नहीं किया गया। इस मामले में हिरासत के लिए स्पष्टीकरण नहीं मिल पाया और हिरासत को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया।


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