पुलिस एनकाउंटर को सही ठहराने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को मानवाधिकार आयोग का नोटिस

Update: 2017-11-23 09:36 GMT

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मीडिया में छपी खबरों का स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से छह सप्ताह के भीतर जवाब माँगा है। मीडिया की खबरों में कहा गया था कि उत्तर प्रदेश की सरकार राज्य में क़ानून और व्यवस्था की स्थिति के मद्देनजर एनकाउंटर को सही मानती है।

आयोग द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में पांच अक्टूबर को जारी सरकारी आंकड़ों का उल्लेख किया गया है। इसके अनुसार, वर्तमान सरकार के मार्च में सत्ता में आने के बाद से राज्य में ऐसे 433 एनकाउंटर हुए हैं। 19 कथित अपराधियों को इन एनकाउंटर में मार दिया गया जबकि इसमें 89 घायल हुए। इनके अलावा 98 अधिकारी भी इसमें घायल हुए और एक की मृत्यु हुई है।

विज्ञप्ति में आयोग ने 19 नवंबर को छपी एक खबर का हवाला देते हुए कहा है कि राज्य सरकार इस तरह के आंकड़ों को गर्व के साथ बताती है और यह कहती है कि यह राज्य में क़ानून और व्यवस्था की सुधार का सबूत है। इस रिपोर्ट में मुख्यमंत्री को यह कहते हुए उद्धृत किया गया है कि “अपराधियों को या तो जेल भेज दिया जाएगा या फिर एनकाउंटर में मार दिया जाएगा”।

राज्य के इस रवैये की भर्त्सना करते हुए विज्ञप्ति में कहा गया है, “अगर राज्य में क़ानून और व्यवस्था की स्थिति गंभीर भी है तो भी राज्य इस तरह का रास्ता नहीं अपना सकता और तथाकथित अपराधियों को इस तरह गैरन्यायिक तरीके से मार नहीं सकता। रिपोर्ट में मुख्यमंत्री के जिस बयान का हवाला दिया गया है उससे यह लगता है कि पुलिस और राज्य के अंदर आने वाली अन्य फ़ोर्स को खुली छूट दे दी गई है और इसकी वजह से सरकारी अमला अपने अधिकारों का दुरूपयोग कर सकता है। यह सभ्य समाज के लिए अच्छा नहीं है कि सरकार की किसी नीति के कारण समाज में भय का वातावरण बन जाए और इसकी वजह से लोगों के जीवन और क़ानून के समक्ष समानता के उनके अधिकार का उल्लंघन हो।”

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