रेप पीड़िता के बयान में विरोधाभास के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को दोषी माना पर सजा घटाई [आर्डर पढ़े]

Update: 2017-11-21 14:58 GMT

पीड़िता के बयान में विरोधभास के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने रेप के आरोपी को दोषी करार देते हुए कहा कि 13 साल की रेप पीड़िता के बयान को अविश्वसनीय नहीं करार दिया जा सकता। बिहार की इस लड़की के साथ रेप मामले में पटना हाई कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार दिया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बहाल रखा है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एल. नागेश्वर राव की बेंच ने कहा कि लड़की के बयान में पूरी तरह से तारतम्यता नहीं है। मैजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दिए बयान में एक बार उसने कहा था कि जब रेप हुआ तो वह अकेली थी लेकिन कोर्ट में दिए बयान में उसने कहा कि उस वक्त घर में उसकी बहन भी थी। साथ ही उसने कहा था कि रेप के वक्त उसके प्राइवेट पार्ट और होंठ पर जख्म के निशान बने लेकिन मेडिकल एविडेंस में इसका जिक्र नहीं था। अभियोजन पक्ष ने डॉक्टर को बयान के लिए नहीं  बुलाया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में लड़की का बयान है कि जब वह शौच के लिए गई थी तब उसके साथ तीन लोगों ने रेप किया। लड़की का बयान अविश्वसनीय नहीं है। इस मामले में एक आरोपी की ओर से अपील दाखिल की गई थी जो आठ साल जेल काट चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने उसे दोषी करार देते हुए जेल में  बिताए गए उसके समय को सजा माना है।


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