उपभोक्ता फोरम को शिकायत पर सुनवाई का अधिकार, भले ही विरोधी ने सिविल सूट दाखिल किया हो : NCDRC [निर्णय पढ़ें]
नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमिशन (NCDRC) ने कहा है कि अगर विरोधी पक्ष ने सिविल सूट भी दाखिल कर दिया हो तो उपभोक्ता फोरम का किसी शिकायत पर सुनवाई के लिए अधिकारक्षेत्र बना रहेगा। भले ही सिविल सूट को भी उसी करार के आधार पर दाखिल किया गया हो जो उपभोक्ता संबंधी शिकायत का मूल आधार हो।
दरअसल राज्य आयोग ने याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें मुआवजे के साथ फ्लैट का कब्जा मांगा गया था। लेकिन आयोग बिल्डर की इस दलील से सहमत था कि उन्होंने पहले ती शिकायतकर्ता के साथ हुए करारनामे को रद्द करने के लिए सिविल सूट दाखिल किया है, इसलिए इस करार के आधार पर दाखिल उपभोक्ता शिकायत सुनवाई योग्य नहीं है।
कमिशन के अध्यक्ष जस्टिस वीके जैन ने कहा कि कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत मौजूद उपचार अतिरिक्त उपचार हैं जो संसद ने उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध कराए हैं। और अगर दोनों उपचार, एक सिविल कोर्ट के सामने और दूसरा उपभोक्ता फोरम के सामने उपलब्ध है, इनमें से ये उपभोक्ता पर है कि वो किस उपचार को चाहता है।
कमिशन ने ये भी कहा कि बिल्डर ने शिकायतकर्ता के साथ करार किया था कि वो फ्लैट का निर्माण कर उन्हें कब्जा देगा, इसलिए लेनदेन होते ही उपभोक्ता और सर्विस प्रोवाइडर के बीच संबंध कायम हो गए।
उपभोक्ता और सर्विस प्रोवाइडर के बीच ये संबंध इस आधार पर खत्म नहीं होंगे क्योंकि एक पक्ष ने करार को रद्द कर दिए। अगर प्रतिवादियों की ओर से सेवाओं में कमी साबित हो जाते हैं तो शिकायतकर्ता कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत के प्रावधानों के तहत उचित राहत पाने के हकदार हैं।
नेशनल कमिशन ने राज्य कमिशन के आदेश को पलटते हुए कहा कि ये कोई ऐसा केस नहीं है जिसमें एक व्यक्ति ने पहले सिविल कोर्ट में गुहार लगाई और बाद में कंज्यूमर फोरम में जाने का निर्णय लिया। कमिशन ने कहा कि यहां सिविल कोर्ट में केस को प्रतिवादियों ने शुरु किया था ना कि शिकायतकर्ता ने। अगर विरोधी पक्ष ने सिविल सूट भी दाखिल कर दिया हो तो उपभोक्ता फोरम का किसी शिकायत पर सुनवाई के लिए अधिकारक्षेत्र बना रहेगा। भले ही सिविल सूट को भी उसी करार के आधार पर दाखिल किया गया हो जो उपभोक्ता संबंधी शिकायत का मूल आधार हो।