ताजमहल को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की विस्तृत पॉलिसी
सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को ताजमहल और टीटीजेड के संरक्षण को लेकर अपनी विस्तृत पॉलिसी सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वह ताजमहल और ताजमहल सरंक्षित क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण को लेकर गंभीर है।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि पिछले 15 सालों में ताज़महल के पास प्रदूषण का स्तर समान बना हुआ है और ईमारत पूरी तरह सुरक्षित है। हालांकि PM 10 की मात्रा तय मानक से थोड़ी ज्यादा है।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा है कि ताजमहल के 500 मीटर के दायरे में पर्यटक वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई गई है।
500मीटर के दायरे में सिर्फ वहां के निवासियों के वाहनों को आवाजाही की इजाजत दी गई है।
पूरे ताज सरंक्षित क्षेत्र में 15 साल से पुराने वाहनों पर भी पाबंदी लगाई गई है। सिर्फ सीएनजी वाले ऑटो रिक्शा, स्कूल बस और व्यावसायिक वाहनों को ही इजाजत है। खाना पकाने के लिए लकड़ी या कोयला जलाने पर पाबंदी है।क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों में भी कोयले पर पाबंदी है।
आगरा के आसपास का बाईपास निर्माण किया गया है। कुछ और बाईपास का निर्माण कार्य किया जाएगा। इलाके के किसानों को जागरूक किया जा रहा है कि वे फसलों के अवशेष को न जलाएं।ताजमहल केआसपास नियमित रूप से धूल की सफाई की जाती है।
हलफनामे में सरकार ने यह भी बताया है कि पूरे क्षेत्र में आठ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं और चार STP और बनाए जाएंगे जिससे यमुना में गंदगी न जाए। साथ ही विद्युत शवदाहगृह के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है।
गौरतलब है कि 15 नवंबर को ताजमहल के संरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि जब तक उत्तर प्रदेश सरकार इसे लेकर बनी पॉलिसी को दाखिल नहीं करेगी, वो सुनवाई नहीं करेगा।
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश ASG तुषार मेहता से कहा कि कोर्ट ने सरकार को पॉलिसी देने को कहा था लेकिन ये पॉलिसी अभी तक नही दी गई है।
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि सरकार का ही हलफनामा कहता है कि ताज संरक्षित क्षेत्र में निर्माणाधीन मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण कार्य मई में काम बंद कर दिया गया तो क्या पार्किंग की समस्या नही आई ? मई में पार्किंग के निर्माण काम क्यों बंद किया ?
सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी ASG तुषार मेहता की दलील पर की थी कि ताज संरक्षित क्षेत्र में पार्किंग की जरूरत है और वहाँ ट्रैफिक की समस्या हो रही है।
इससे पहले बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि वह ताजमहल व उसकेआसपास और ताज ट्रैपिज्यम जोन(TTZ ) के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने कहा है कि पर्यावरण कानून और अदालती आदेशों के अनुसार पूरे क्षेत्र में काम हो रहा है। सरकार ने कहा कि 10400 वर्गमीटर क्षेत्र में फैले TTZ में होने वाले सभी विकास कार्य टीटीजेड सहित संबंधित अथॉरिटी के अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने के बाद ही हो रहा है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि ताजमहल के संरक्षण के लिए अलग से माइक्रो लेवल योजना तैयार करने पर विचार किया जा रहा है। ताजमल सरंक्षण से संबंधित प्रावधानों को आगरा के मास्टर प्लान , 2021 में शामिल किया गया है। साथ ही ताजमहल के संरक्षण केलिए विशेषज्ञों और प्रतिष्ठित संस्थानों से मदद लेने पर विचार किया जा रहा है।
हलफनामे में ये भी कहा गया है कि नीरी की सिफारिशों के तहत TTZ अथॉरिटी अल्पकालीन और दीर्घकालीन योजनाओं की निगरानी करता है। हाल में नीरी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ताजमहल के संरक्षण के लिए धूलरहित पार्किंग सुविधा मुहैया कराने की जरूरत है। साथ ही ताजमहल के पूर्व और पश्चिम दिशा में ओरियंटेशन सेंटर की जरूरत है। शिल्पग्राम में मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण TTZ अथॉरिटी द्वारा हरी झंडी मिलने केबाद किया जा रहा था। पर्यटन विभाग द्वारा पार्किंग का निर्माण हो रहा है। पार्किंग का निर्माण ताजमहल से एक किलोमीटर की दूरी पर हो रहा है। ताजमहल के आसपास वाहनों की आवाजाही खत्म करने के उद्देश्य से इसका निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना केलिए 11 पेड़ों को काटने की जरूरत है। इसकेलिए राज्य सरकार 330 पौधे लगाने के लिए तैयार है। इसके लिए जगह की भी पहचान कर ली गई है।
सरकार ने बताया है कि पार्किंग का निर्माण पिछले साल 18 जून को शुरू किया गया था लेकिन 20 मई, 2017से निर्माण कार्य रुका पड़ा है। राज्य सरकार ने अदालत से 11 पेड़ों को काटने की इजाजत मांगी है।
इससे पहले 27 अक्तूबर को ताजमहल के पास बन रही मल्टीलेवल पार्किंग को ढहाने के अपने ही आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाते हुए यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश दिए थे।
उत्तर प्रदेश सरकार की ढहाने के आदेश वापस लेने और खारिज अर्जी पर फिर से सुनवाई करने को लेकर दाखिल याचिका पर जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की कोर्ट ने ये फैसला सुनाया था।
सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा था कि ताज संरक्षित क्षेत्र के लिए पॉलिसीकहां है ? ये पार्किंग 2006 की योजना का हिस्सा है लेकिन ताज के सरंक्षण के लिए अभी तक कोई पॉलिसी क्यों नहीं है ? कोर्ट ने यूपी के लिए पेश ASG तुषार मेहता को कहा था कि कोर्ट हर बार ताज क्षेत्र में पेड काटने की इजाजत नहीं देगा। इसके लिए कोर्ट में सरकार पॉलिसी दाखिल करे।
दरअसल आगरा में ऐहतिहासिक स्मारक ताजमहल के सरंक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की मुसीबत बढा दी थी।
जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने आगरा में ताजमहल के पास ताज सरंक्षित क्षेत्र में बनाई जा रही मल्टीलेवल पार्किंग को ढहाने के आदेश जारी कर दिए। वहीं इस आदेश के बाद शाम को यूपी सरकार की ओर से AAG ऐश्वर्या भाटी ने बेंच के सामने आदेश वापस लेने और ढहाने के आदेश पर रोक लगाने की गुहार लगाई। लेकिन कोर्ट ने आदेश वापस लेने से इंकार करते हुए कहा कि सरकार पहले अर्जी दाखिल करे, फिर उस पर विचार किया जाएगा।
दरअसल पहले राज्य सरकार ने ही इस मल्टीलेवल दो मंजिला पार्किंग के लिए कोर्ट से इजाजत के लिए अर्जी लगाई थी। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से वकील ना होने पर याचिकाकर्ता एमसी मेहता ने कहा कि ये पार्किंग बिना इजाजत बनाई जा रही है। इसी पर कोर्ट ने इसे ढहाने के आदेश जारी करते हुए आगरा के डीएम को चार हफ्ते में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि ये पार्किंग पर्यावरण के लिए खतरा हो सकती है।
गौरतलब है कि ये दो मंजिला पार्किंग पहले की अखिलेश सरकार के ताजमहल के ईस्ट गेट की तरफ बनाए जा रहे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शिल्पग्राम के प्रोजेक्ट का हिस्सा है। यूपी सरकार की अर्जी के मुताबिक करीब 11.5 एकड जमीन में बन रही इस पार्किंग में 404 कारों, 22 बसों, 260 दोपहिया और 60 इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए पार्किंग प्रस्तावित है।