दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र से पूछा, अगर सिंदूर, काजल और बिंदी पर कोई कर नहीं तो सेनेटरी नैपकिंस पर 12 प्रतिशत दर की जीएसटी लगाने का क्या औचित्य
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की एक छात्रा की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से सेनेटरी नैपकिंस पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाने का औचित्य पूछा है।
पीएचडी की छात्र ज़र्मिना इसरार खान ने यह याचिका दायर की है और कहा है कि सेनेटरी नैपकिंस पर 12 प्रतिशत का जीएसटी गैरकानूनी और असंवैधानिक है।
केंद्र सरकार से हाईकोर्ट ने पूछा, “आप काजल, बिंदी और सिंदूर को कर मुक्त कर देते हैं। लेकिन सेनेटरी नैपकिंस पर कर लगाते हैं। यह इतनी जरूरी चीज है। कोर्ट ने पूछा कि क्या इसका कोई जवाब है। कोर्ट ने 31 सदस्य वाले जीएसटी काउंसिल में किसी महिला के नहीं होने पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की।
कोर्ट ने फिर पूछा, “क्या आपने ऐसा करने से पहले महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से इस मुद्दे पर विचार विमर्श किया या आपने सिर्फ आपने आयात और निर्यात शुल्क पर ही ध्यान दिया है। इसके बारे में कोई भी कदम व्यापक चिंताओं को ध्यान में रखकर उठाना चाहिए था। ”
केंद्र सरकार के वकील संजीव नरूला ने इस पर कहा कि अगर सरकार सेनेटरी नैपकिंस को कर मुक्त कर देती है तो इससे इसकी कीमत काफी बढ़ जाएगी।
कोर्ट ने सरकारी वकील की इस दलील पर कहा कि सरकार आंकड़ेबाजी का खेल खेल रही है। केंद्र सरकार ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि सेनेटरी नैपकिन को बनाने में प्रयोग होने वाले कच्चे माल पर 18 या 12 प्रतिशत का जीएसटी लगता है। उसका कहना है कि कर की डर न तो मनमाना है और न ही इससे किसी भी तरह के संवैधानिक गारंटी का हनन हुआ है।
इस मामले पर आगे की सुनवाई अब 14 दिसंबर को होगी।