नोटबंदी के दौरान काले धन को सफ़ेद करने के मामले में टंडन को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली जमानत [निर्णय पढ़ें]

Update: 2017-11-14 04:35 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में गिरफ्तार एडवोकेट रोहित टंडन की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। उनके खिलाफ नोटबंदी के बाद मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया गया था।

 सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने एडवोकेट टंडन की अर्जी खारिज कर दी।

 काले धन के मामले में रोहित टंडन के घर छापेमारी हुई थी। जांच एजेंसी ने छापेमारी में रोहित टंडन के यहां से 13 करोड़ 60 लाख रुपये बरामद किए थे और इस के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था। अभियोजन पक्ष का आरोप है कि नोटबंदी के दौरान टंडन ने प्रतिबंधित हुए 60 करोड़ की मूल्य के नोट को अवैध तरीके से बदलवाए। सु

नवायी के दौरान टंडन के लिए जमानत की मांग करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा था कि जमानत दिया जाना नियम है और जेल भेजना अपवाद, लेकिन इस मामले में उसे उलट दिया गया है। टंडन के वकील रोहतगी ने कहा कि धन शोधन निवारण कानून के तहत टंडन के खिलाफ कोई मामला नहीं बना है। उन्होंने कहा कि टंडन के पास कथित रूप से बिना लेखाजोखा वाला धन मिला था जो पीएमएलए के तहत अपराध नहीं है, क्योंकि यह कानून अपराध के जरिए आय से जुड़ा है।

 अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि टंडन अवैध धन को बदलवा रहे थे, जिससे काला धन के खिलाफ कार्रवाई कर रही भारत सरकार को नुकसान पहुंच रहा था। टंडन ने नियमित जमानत का अनुरोध करते हुए कहा था कि उन्हें अपनी बीमार मां की देखभाल करनी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से मिली टंडन की अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने से मना कर दिया था। हाई कोर्ट से तीन हफ्ते की अंतरिम जमानत उन्हें मिली थी।


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