वंदे मातरम् के प्रति सम्मान के लिए उसे कानून के तहत संरक्षण की जरूरत नहीं : दिल्ली हाई कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् देश के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा रहा है और इसको सम्मान मिले यह सुनिश्चित करने के लिए कानून में बदलाव की जरूरत नहीं है। दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की उक्त दलील पर सहमति जताते हुए कहा कि सकारात्मक कार्यों को सम्मान देने के लिए कानून के तहत संरक्षण की जरूरत नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर की पीठ ने गौतम मुरारका की अर्जी खारिज करते हुए उक्त टिप्पणी की। याचिकाकर्ता मुरारका ने अपनी अर्जी में इंसल्ट ऑफ नैशनल ओनर एक्ट, 1971 में बदलाव करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की थी ताकि राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् को वही सम्मान मिल सके जो राष्ट्रीय गान को मिलता है।
अदालत ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि याचिकाकर्ता के हिसाब से वंदे मातरम् सम्मान का हकदार है और इसे प्रतिवादी स्वीकार करता है लेकिन हम याचिका में की गई मांग को स्वीकार नहीं कर सकते।
मुरारका के वकील परवीण एच. पारिख ने कहा कि वंदे मातरम् को राष्ट्र गान जैसा बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए।
गृह मंत्रालय ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता की मांग पर 29 मार्च 2016 को विचार किया गया। इसके बाद कमिटी ने 30 मई 2016 को इस मामले में यथास्थिति बरकरार रखने को कहा था। हर नागरिक को यह याद रखना चाहिए कि आजादी की लड़ाई में राष्ट्रीय गीत ने किस तरह की ऐतिहासिक भूमिका निभाई और जब भी यह बजे तो उसके प्रति सम्मान दिखाया जाना चाहिए।
केंद्र ने कलाकार से तुलना की
कमिटी ने कहा कि कानून के तहत संरक्षण ही सम्मान जताने का तरीका नहीं है। करोड़ों लोग रामचरित मानस और महाभारत के प्रति सम्मान रखते हैं। विश्व भर में इसाई बाइबिल के प्रति सम्मान रखते हैं। कालिदास और शेक्सपियर की कृतियों के प्रति लोगों का सम्मान है।
सैकड़ों सालों से कलाकारों का सम्मान होता आया है और उन्हें सम्मान देने के लिए किसी कानून के संरक्षण की जरूरत नहीं है। दरअसल यह काम कानून के दायरे से बाहर का है। देश का एक झंडा और एक राष्ट्र गान है। इसका मतलब यह नहीं है कि औरों का सम्मान कम है।
वंदे मातरम् की लोकप्रियता के बारे में बताना अहम योगदान
कमिटी ने याचिकाकर्ता को सलाह दी कि युवाओं में इसको लेकर जागरुकता जगाएं। यह उनके लिए अहम योगदान की तरह होगा। इस बारे में युवाओं को बताएं कि वंदे मातरम् का कितना योगदान रहा है। कमिटी ने याचिकाकर्ता से कहा कि यह आपका बेहतर योगदान रहेगा। पीठ ने कहा कि इस बारे में और व्याख्या की जरूरत नहीं है कि कैसे वंदे मातरम् ने स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका अदा की। ऐसे में उसके प्रति सम्मान जाहिर करने के लिए उसको कानून के जरिये संरक्षित करने की जरूरत नहीं है।