सुप्रीम कोर्ट ने महात्मा गाँधी हत्या की फिर से जांच कराने की याचिका पर सुनवाई चार सप्ताह के लिए टाली
सुप्रीम कोर्ट ने आज महात्मा गांधी की हत्या की फिर से जांच कराने की अपील पर सुनवाई चार सप्ताह तक के लिए टाल दिया। कोर्ट की मदद करने वाले एडवोकेट (Amicus Curiae) अमरेन्द्र शरण ने इस मामले की कानूनी स्थिति के बारे में बताने के लिए और समय की मांग की जिसके बाद कोर्ट ने ऐसा किया।
इस अपील का विरोध करते हुए महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गाँधी ने कोर्ट के नोटिस जारी करने पर इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए कोर्ट की अनुमति माँगी।
कोर्ट की मदद करने वाले वकील शरण ने न्यायमूर्ति एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार ने राष्ट्रपिता की हत्या करने वाले अभियुक्त के मुक़दमे से संबंधित सारे दस्तावेज अभी नहीं दिए हैं और इसके लिए अभी और समय की जरूरत है।
तुषार गाँधी की पैरवी कर रहे एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट द्वारा इस मामले में नोटिस जारी करने की स्थिति में हस्तक्षेप करने की अनुमति मांगी। उन्होंने याचिकाकर्ता के याचिका दायर करने के औचित्य पर सवाल उठाया और कहा कि इस घटना के 70 साल गुजर गए हैं और अब इस स्थिति में इस केस को फिर से कैसे खोला जा सकता है।
सभी पक्षकारों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने चार सप्ताह के लिए इसकी सुनवाई मुल्तवी कर दी।
कोर्ट नए तथ्यों के आधार पर महात्मा गाँधी की हत्या की दुबारा जांच कराने के बारे में एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
याचिकाकर्ता पंकज कुमुद चन्द्र फडनिस ने अपनी याचिका में कहा है कि राष्ट्र पिता बापू की हत्या के पीछे एक संगठन का हाथ है और कहा कि अपने दावे को साबित करने के लिए उसके पास दस्तावेज हैं।
याचिकाकर्ता वैश्विक प्राथमिक शिक्षा में पीएचडी है और उसने ट्रायल कोर्ट और पंजाब हाई कोर्ट के तथ्यों की दुबारा जांच कराने की मांग की है। उसने कहा है कि गोडसे ने तीन गोलियाँ दागी जबकि रिकॉर्ड में अंकित तथ्यों के अनुसार चार गोलियाँ दागी गईं। याचिका में कपूर कमीशन के कतिपय अवलोकनों की सत्यता की जांच करने का आग्रह किया गया है क्योंकि इसको लेकर भी तथ्यों के रिकॉर्ड के विपरीत साक्ष्य उपलब्ध हैं।
उन्होंने कपूर कमीशन द्वारा मराठियों के बारे में आम रूप से और वीर सावरकर के बारे में विशेष रूप से दिए गए कुछ अपमानजनक बयानों को हटाने की मांग की। याचिकाकर्ता ने एक नए जांच आयोग गठित करने की अपील की है ताकि गांधीजी की हत्या के बारे में वृहत षड्यंत्र की जांच की जा सके।
इस अपील का विरोध करते हुए महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गाँधी ने कोर्ट के नोटिस जारी करने पर इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए कोर्ट की अनुमति माँगी।
कोर्ट की मदद करने वाले वकील शरण ने न्यायमूर्ति एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार ने राष्ट्रपिता की हत्या करने वाले अभियुक्त के मुक़दमे से संबंधित सारे दस्तावेज अभी नहीं दिए हैं और इसके लिए अभी और समय की जरूरत है।
तुषार गाँधी की पैरवी कर रहे एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट द्वारा इस मामले में नोटिस जारी करने की स्थिति में हस्तक्षेप करने की अनुमति मांगी। उन्होंने याचिकाकर्ता के याचिका दायर करने के औचित्य पर सवाल उठाया और कहा कि इस घटना के 70 साल गुजर गए हैं और अब इस स्थिति में इस केस को फिर से कैसे खोला जा सकता है।
सभी पक्षकारों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने चार सप्ताह के लिए इसकी सुनवाई मुल्तवी कर दी।
कोर्ट नए तथ्यों के आधार पर महात्मा गाँधी की हत्या की दुबारा जांच कराने के बारे में एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
याचिकाकर्ता पंकज कुमुद चन्द्र फडनिस ने अपनी याचिका में कहा है कि राष्ट्र पिता बापू की हत्या के पीछे एक संगठन का हाथ है और कहा कि अपने दावे को साबित करने के लिए उसके पास दस्तावेज हैं।
याचिकाकर्ता वैश्विक प्राथमिक शिक्षा में पीएचडी है और उसने ट्रायल कोर्ट और पंजाब हाई कोर्ट के तथ्यों की दुबारा जांच कराने की मांग की है। उसने कहा है कि गोडसे ने तीन गोलियाँ दागी जबकि रिकॉर्ड में अंकित तथ्यों के अनुसार चार गोलियाँ दागी गईं। याचिका में कपूर कमीशन के कतिपय अवलोकनों की सत्यता की जांच करने का आग्रह किया गया है क्योंकि इसको लेकर भी तथ्यों के रिकॉर्ड के विपरीत साक्ष्य उपलब्ध हैं।
उन्होंने कपूर कमीशन द्वारा मराठियों के बारे में आम रूप से और वीर सावरकर के बारे में विशेष रूप से दिए गए कुछ अपमानजनक बयानों को हटाने की मांग की। याचिकाकर्ता ने एक नए जांच आयोग गठित करने की अपील की है ताकि गांधीजी की हत्या के बारे में वृहत षड्यंत्र की जांच की जा सके।