शोमी (Xiaomi) के साथ कानूनी लड़ाई में एरिक्सन को “कांफिडेंशियल क्लब” बनाने की दिल्ली हाई कोर्ट की इजाजत [निर्णय पढ़ें]
दिल्ली हाई कोर्ट ने एरिक्सन की अपील को मानते हुए चीन की मोबाइल हैंडसेट बनाने वाली कंपनी शोमी के साथ उसकी कानूनी लड़ाई में उसे “कांफिडेंशियल क्लब” बनाने की अनुमति दे दी है। कांफिडेंशियल क्लब में विशेषकर वकील और कुछ प्रमुख गवाह शामिल होते हैं जिनको उन कागजातों को देखने की अनुमति होती है जिस पर विवाद होता है।
न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने इस तरह के क्लब के गठन में कोई नुकसान नहीं देखा और उन्होंने कहा, “इसका कारण शायद आज की वैश्विक दुनिया है जहाँ प्रतिस्पर्धा अपने चरम पर है, कोई संगठन अपने व्यापार के बारे में कोई गोपनीय राज, गोपनीय समझौते या उसके बारे में विस्तार से उन अन्य पार्टियों को नहीं बताता जिनके साथ उसने समझौते किए हैं कि भारी प्रतिस्पर्धा के कारण कहीं कोई गंभीर पूर्वाग्रह न बन जाए। व्यापारिक रहस्य किसी कंपनी को बना सकता है या बिगाड़ सकता है इसलिए उसको सुरक्षित रखना जरूरी होता है। एक बार जब इस तरह की बातें सार्वजनिक कर दी जाती हैं, या कोई प्रतिस्पर्धी इसका दुरुपयोग करता है तो किसी अदालत का कोई आदेश उस कंपनी को घाटा होने से बचा नहीं सकता और न ही उसको उसकी पुरानी हालत में लौटा सकता है।”
एरिक्सन शोमी के खिलाफ चल रहे मामले में स्थाई आदेश चाहता है और इसीलिए उसने इस क्लब के गठन की अनुमति मांगी है। उसने कोर्ट से कहा कि अपने दायित्व के निर्वहन के लिए उसे कई पेटेंट लाइसेंसिंग वाले समझौते सामने रखने होंगे जिसमें व्यवसाय की दृष्टि से संवेदनशील सूचनाएँ हैं।
उसने आगे कहा कि इस तरह के क्लब पहले भी बनाए गए हैं, और इस क्लब का गठन कानूनी होगा ताकि दोनों पक्षों द्वारा वाणिज्यिक रूप से साझा की जाने वाली सूचनाओं की गोपनीयता बनाई रखी जा सके।
न्यायमूर्ति खन्ना एरिक्सन की अपील पर सहमत हो गए और कहा कि दस्तावेजों तक संबंधित लोगों की पहुँच आठ-सूत्रीय प्रक्रिया से बंधी होगी। यह प्रक्रिया प्रतिवादी की आशंकाओं का भी ख़याल रखेगा और इसके लिए एरिक्सन को यह निर्देश दिया जाएगा कि वह मिलते जुलते पक्षकारों से संबंधित समझौतों से जुड़े दस्तावेज ही सामने रखे और पक्षकारों को इस तरह के समझौतों की प्रति प्राप्त करने की अनुमति होगी।