महिला कैदी को अपने खर्च पर निजी अस्पताल में इलाज कराने की सुप्रीम कोर्ट ने दी इजाजत
मुंबई की बायकुला जेल में इस समय बंद एक महिला को सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को संशोधित करते हुए निजी अस्पताल में इलाज कराने की इजाजत दे दी है।
अभियुक्त की एंजियोप्लास्टी होनी है पर वह सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं कराना चाहती थी क्योंकि सह-अभियुक्त और उसका बेटा एक सरकारी अस्पताल में इलाज के दौरान मर गया था।
पहले तो उसने हाई कोर्ट से चिकित्सा के लिए अस्थायी जमानत माँगी। इसके लिए कोर्ट द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड ने 22 अगस्त को अपनी रिपोर्ट में कहा कि अभियुक्त को एंजियोप्लास्टी कराने की जरूरत है। इसके बाद अतिरिक्त पब्लिक प्रोस्क्यूटर ने न्यायमूर्ति एएस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इस रिपोर्ट को पेश किया जिसमें कहा गया था कि सरकार 1.5 लाख का अनुमानित चिकित्सा खर्च उठाने के लिए तैयार है।
सो हाई कोर्ट ने उसके अस्थाई जमानत को रद्द कर दिया और अभियुक्त को जेजे अस्पताल में भर्ती कराने का आदेश दिया। इस अस्पताल के डॉक्टरों को कोर्ट ने अभियुक्त के इलाज का निर्देश दिया। इसके बाद अभियुक्त ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर हाई कोर्ट के आदेश को स्थगित करने की मांग की जिसकी अनुमति कोर्ट ने दे दी। और बाद में हाई कोर्ट के आदेश को स्थगित करते हुए उसे निजी अस्पताल में अपने खर्चे पर इलाज कराने की इजाजत दे दी.
अपील की अनुमति देने के बाद सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि उसके इलाज संबंधी विवरणों के तय हो जाने के बाद अभियुक्त जमानत के लिए फिर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है।