दिल्ली हाई कोर्ट ने लिमिटेशन नियम पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। हाई कोर्ट अपील दायर करने में 504 दिनों की देरी में छूट देने की सरकार की अर्जी खारिज करते हुए टिप्पणी की हाई कोर्ट ने कहा कि अपील दाखिल करने में देरी क्यों हुई इसका कारण नहीं बताया गया। अर्जी बिना विवेक का इस्तेमाल किए ही दाखिल किया गया।
हाई कोर्ट के जस्टिस जीएस सिस्तानी औऱ जस्टिस चंद्र शेखर की बेंच ने कहा कि लिमिटेशन नियम न्यायिक शांति और विराम के लिए है। ये खतरे की तलवार को विराम देता है। प्रतिवादी ने इस मामले में ट्रायल का सामना किया है और दोषमुक्त हुआ है। इस कारण उसके निर्देश साबित की परिकल्पना को ज्यादा बल मिलता है। इस मामले में जब अपील दाखिल करने का वक्त बीत गया उसके बाद उसके बाद उसका मन शांत चित हो गया और ऐसे में क्या सरकार को इस बात की इजाजत मिलनी चाहिए कि वह एक दिन जगे और अपील दाखिल कर दे। हम समझते हैं कि ऐसा नहीं हो सकता। जब तक संतुष्टिदायक कारण नहीं होगा कि क्यों अपील में देरी हुई तब तक देरी के लिए छूट नहीं दी जा सकती।