तिहाड़ के 47 कैदियों ने मानवाधिकार के उल्लंघन का आरोप लगाया, दिल्ली हाई कोर्ट ने उचित जांच के आदेश दिए [आर्डर पढ़े]

Update: 2017-09-28 10:39 GMT

दिल्ली हाई कोर्ट ने उस याचिका पर सीधे जांच के आदेश दिए हैं जिसमें 47 जेल कैदियों ने आरोप लगाया है कि उनके मानवाधिकारों का जेल में उल्लंघन हो रहा है। जेल अथॉरिटी उनको प्रताड़ित कर रहे हैं। उन्हें बुरी तरह से पीटा जाता है और उनके मेडिकल ट्रीटमेंट का खयाल नहीं रखा जाता। साथ ही उन्हें अपने परिजनों से नहीं मिलने दिया जाता है।

हाई कोर्ट के जस्टिस जीएस सिस्तानी और जस्टिस चंद्रशेकर की बेंच ने इस मामले में हेड क्वार्टर के सुपरिंटेंडेंट से कहा है कि वह उचित और साफ सुथरी जांच करें और तीन हफ्ते में अपनी रिपोर्ट पेश करें।

वहीं सरकार की ओर से अर्जी पर सुनवाई के दौरान कहा गया कि जेल में बंद कैदियों का खुद का किया हुआ ये सबकुछ है। ये खुद ही अपने आप जो जख्म देते हैं। जेल अथॉरिटी जेल में सही वातावरण की कोशिश करते हैं लेकिन कैदी खुद ही वहां बदमाशी करते हैं। वहीं कैदियों का कहना है कि सरकार के दावे खोखले हैं ये सच्चाई को छुपाने में लगी है। वहां लगे सीसीटीवी काम नहीं कर रहे हैं। जहां कैदियों के साथ घटना हो रही है वहां सीसीटीवी नहीं हैं।

अदालत ने इस मामले में सीसीटीवी कैमरा के  बारे में भी रिपोर्ट देने को कहा है। अदालत नेपूछा है कि बताया जाए कि कितने सीसीटीवी नहीं काम कर रहे हैं। और कब से नहीं काम कर रहे हैं और क्या इस बाबत कोई शिकायत हुई है।

याचिका ने पिंडोरा बॉक्स खोला

इस मामले में एडवोकेट अरविंद कुमार की ओर से अर्जी दाखिल की गई थी। उसने जमाल उर्फ रांझा की ओर से अर्जी दाखिल की है। रांझा के खिलाफ मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) का केस पेंडिंग है। इस मामले में दाखिल अर्जी पर कोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं। मामले में 47 कैदियों के लिए मुद्दा उठाया गया है। अरविंद की ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया है कि उनके क्लाइंट जमाल तीस हजारी कोर्ट में 11 सितंबर को पेश नहीं किया गया जेल अथॉरिटी ने कहा कि जमाल ने ड्रग्स ले लिया था और इस कारण वह अस्पताल में भर्ती है। जब अरविंद कुमार ने जमाल से मिलने की कोशिश की तो उसे मिलने नहीं दिया गया। फिर उनकी ओर से सेशल जज सावित्री की अदालत में अर्जी दाखिल की गई लेकिन अर्जी जेल अथॉरिटी को रेफर किया गया। लेकिन फिर कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्हें सिर्फ ये बताया गया कि जमाल डीडीयू अस्पताल में भर्ती है और फिर उसे मिलने नहीं दिया गया। तब उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया और गुहार लगाई गई कि उन्हें डर है कि कहीं जमलल की हत्या न कर दी गई हो ऐसे में उसे पेश किया जाना चाहिए।

19 सितंबर को जब मामले की सुनवाई हुई तब स्टैंडिंग काउंसिल राहुल मेहरा ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश होकर कहा कि जमाल और उसके दो भाइ और पिता मकोका के केस में आरोपी हैं और फिलहाल रोहिणी जेल में हैं। चूंकि उसका कंडक्ट खराब है ऐसे में उसे जेल नंबर 3 रोहिणी में भेजा गया है। वहीं उसके एक भाई कमाल को जेल नंबर 8 व 9 में रखा गया है। जबकि उसके पिता और एक अ्य भाई रोहिणी जेल में बंद हैं।

राहुल मेहरा ने कहा कि जमाल ड्रग्स स्मलिंग में लिप्त है और जेल में भी वह ऐसा कर रहा है। उससे सजा किटक दिया गया है। 10 सितंबर को वह अन्य दो लोगों के साथ बेहोश मिलाथा और तब उसे डीडीयू (दीन दयाल उपाध्याय) अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कोर्ट को  बताया गया कि जमाल ने अपने सिर में चोट मारी थी और बाकी दो लोगों को भी चोट लगी थी। 19 सितंबर को कोर्ट ने आदेश दिया था कि एडवोकेट अरविंद को जमाल से मिलने दिया जाए। फिर मीटिंग जेल में तय हई। जब मीटिंग हुई तब अन्य जेल कैदियों के  बारे में पता चला कि उनके मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा है। फिर ये याचिका दायर की गई। जमाल के साथ मिलने की मुख्य गुहार के बाद मिलने की इजाजत दे दी गई। लेकिन अन्य मामले कोर्ट में आ गए। सरकार का कहना है कि सभी 47 कदी सजा काट रहे हैं। और उन्हें पनिशमेंट टिकट दिया गया है अऱविंद का दावा है कि सभी 47 ने कहा है कि उन्हें जेल में पीटा जा रहा है। पनिशमेंट (सजा) टिकट तब दिया जाता है जब कैदियों द्वारा जेल के नियम को तोड़ा जाता है। इसके तहत कैदियों को परिजनों से मिलने से मनाही हो जाती है और अन्य पाबंदियां लग जाती है।  सरकार का कहा है कि जमाल ही नहीं बल्कि अन्य 47 का मामला है जिसे पीटने का आरोप  लगाया गया है। इन्हें पनिशमेंट टिकट दिया गया है। सरकार का कहना है कि इन सभी 47 को पनिशमेंट टिकट दिया गया है।

बेंच ने कहा है कि ये मामला याचिकाकर्ता और अन्य के साथ मानवाधिकार के उल्लंघन का है। याचिकाकर्ताओं को बुरी तरह से पीटा गया और उन्हें मेडिकल सुविधा नहीं दी गई। याचिकाकर्ता के वकील जिनमें महमूद पराचा भी शामिल हैं ने कहा कि कैदियों का जेल के डॉक्टर पर भरोसा नहीं है। ऐसे में इनका इलाज किसी स्वतंत्र अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा की जानी चाहिए ताकि साक्ष्य को न मिटाया जा सके।

वहीं सरकार का दूसरी तरफ कहना है कि ऐसी स्थिति खुद कुछ जैल के कैदियों ने उत्पन्न की है। जिसके बाद अलार्म बेल बजाया गया और कैदियों को अंदर किया गया और मामले में सुपरिंटेंडेंट द्वारा आंतरिम जांच के आदेश दिए गए थे। दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि उन्हें इसबात से कोई एेतराज नहीं है कि याचिकाकर्ताओं की जांच किसी स्वतंत्र डॉक्टर द्वारा किया जाए।

कोर्ट ने 47 याचिकाकर्ता कैदियों के  बारे में निर्देश जारी किया गया कि एम्स, सफदरजंग या फिर एलएनजेपी अस्पताल मेें उनकी मेडिकल जांच हो। इस स्टेज पर कोर्ट ने ये जानना चाहा कि कब से सीसीटीवी काम नहीं कर रहा था और क्या इसके लिए कोई शिकायत हुई है। अदालत ने जेल सुपरिंटेंडेंट से कहा है कि वह मामले में तीन हफ्ते में जांच करें और रिपोर्ट पेश करें। अदालत ने कहा कि रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में पेश कियाजाए। अदालत ने कहा है कि वह उम्मीद करते हैं कि जांच उचित और निष्पक्ष होगी। जमाल का अभी जेल डॉक्टर द्वारा इलाज किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा है कि फिलहाल उसके सिर में लगी चोट का किसी न्यूरोलॉजिस्ट से इलाज कराया जाए।

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