रेप वीडियो मामले में सुप्रीम कोर्ट में होगी ' इन कैमरा 'सुनवाई [आर्डर पढ़े]
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस उदय उमेश ललित की बेंच 18 सितंबर को याहू, फेसबुक, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और वाटसएप की आपत्तियों पर 23 अक्तूबर को दोपहर दो बजे सुनवाई को तैयार हो गई है। ये सुनवाई इन कैमरा होगी। दरअसल इन कंपनियों ने कोर्ट द्वारा गठित समिति की सिफारिशों पर आपत्ति जताई है कोर्ट ने समिति का गठन किया था ताकि गैंगरेप, रेप और चाइल्ड पोर्नोग्राफी के वीडियो आम लोगों तक ना पहुंचे।
सूचना एवं तकनीक मंत्रालय के एडिशनल सेक्री डा. अजय कुमार की अगवाई में इस समिति में याचिकाकर्ता की वकील अपर्णा भट्ट, एमिक्स क्यूरी एनएस नापीनाई, फेसबुक- आयरलैंड के वकील सिद्धार्थ लूथरा और अन्य पक्षकारों के प्रतिनिधि हैं। मार्च में जब समिति का गठन किया गया तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो इस नतीजे पर पहुंचे कि ये आपत्तिजनक वीडियो इंटरनेट पर उपलब्ध ना हों। अगर तकनीकी कारणों से ये संभव ना हो तो बेंच ने समिति को कारण बताने के लिए कहा था कि एेसा क्यों नहीं किया जा सकता।
बेंच ने ये भी साफ किया कि समिति की बैठक का परिणाम गोपनीय रखा जाएगा और रिपोर्ट कोर्ट के सामने रखे जाने तक सील कवर में रहेगी। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दो दिनों में की गई कार्रवाई को लेकर हलफनामा दाखिल करने को कहा। चार सितंबर को अजय कुमार ने कहा था कि जिन पक्षों ने बैठक में हिस्सा लिया उन्होंने रिपोर्ट को सावर्जनिक किए जाने पर आपत्ति जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि हिस्से पर आपत्ति है ये स्पष्ट किया जाना चाहिए। एेसा लगता है कि पक्ष कुछ सिफारिशों पर सहमत हैं और कुछ अन्य पर असहमत हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अजय कुमार को दो वर्गों के प्रस्ताव के दो वर्गों के दस सेट बनाने को कहा है जिसमें एक सहमति वाला होगा जबकि दूसरा जिसमें सहमति नहीं बनी है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों के वकीलों को प्रस्ताव व सिफारिशों को गोपनीय रखने को भी कहा है। हालांकि कोर्ट ने इन सिफारिशों को सावर्जनिक करने पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
बेंच ने याहू, फेसबुक, गूगल, गूगल इंडिया, माइक्रोसॉफ्ट और वाटसएप को देश में गैंगरेप, रेप और चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुडी शिकायतों पर हलफनामा दाखिल करने को कहा था। ये जानकारी 2016 और 2017 ( 1 जनवरी 2016 से 31 अगस्त 2017) के बीच प्राप्त शिकायतों की मांगी गई है और पूछा गया है कि इन मामलों में क्या कार्रवाई की गई? चार सितंबर को कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया कि ये जानकारी उससे अलग होगी जिनमें कंपनियों ने बिना शिकायत मिले ही संज्ञान लेकर कार्रवाई की।
बेंच ने केंद्र सरकार को हलफनामे के जरिए बताने को कहा है कि पोक्सो यानि प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज एक्ट 2012 के सेक्शन 19 और 21 के तहत 2016 और 2017 ( 1 जनवरी 2016 से 31 अगस्त 2017) के बीच कितनी कार्रवाई की गई हैं।
18 सितंबर को गूगल की ओर से पेश डा. ए एम सिंघवी और साजन पोवैया और वाटसएप से कपिल सिब्बल मे अपनी दलीलें कोर्ट के सामने रखी। जस्टिस लोकुर ने नाराजगी जताई कि सिंघवी की आपत्ति तुच्छ है। कोर्ट ने कहा कि लगता है कि आप इधर कोमा पर आपत्ति जता रहे हैं और उधर फुल स्टॉप पर।