अब यूपी की चीनी मिलों के मामले की सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, सीसीआई के आदेश पर रोक

Update: 2017-09-16 05:11 GMT

उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार के दौरान 2009-2010 में 21 चीनी मिलों की बिक्री की प्रक्रिया को जायज ठहराए जाने वाले भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग यानी कंपीटिशन कमीशन ऑफ इंडिया केआदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। साथ ही इस मामले में कोर्ट ने सीसीआई, सीबीआई और सीएजी को नोटिस जारी किया है।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने सच्चिदानंद गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए सात मई के सीसीआई के फैसले पर रोक लगा दी है। साथ ही बेंच ने सीबीआई, सीएजी, उत्तर प्रदेश सरकार समेत अन्य को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। याचिका में सीसीआई के फैसले पर रोक लगाने की गुहार केअलावा इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की गई थी।

याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2009-2010 में उत्तर प्रदेश में 21 चीनी मिलों को कौडिय़ों के भाव बेच दिया गया। आरोप है कि इनमें से पांच चीनी मिल पौंटी चड्ढा की कंपनियों को बेची गईं। कुछ चीनी मिलें नेताओं के करीबियों को भी बेची गई। याचिकाकर्ता के मुताबिक चीनी मिलों को एक-दो करोड़ रुपये में बेचा गया जबकि उस वक्त इन मिलों का बाजार भाव बेहद ज्यादा था। सरकार द्वारा चीनी मिलों को कौडिय़ों के भाव में बेचने से सरकारी खजानों को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ। इनमें से कई चीनी मिलें अब भी चालू हैं। याचिका में यह भी कहा गया कि चीनी कंपनियां 250 बीघे में फैली हुई थी। तत्कालीन सरकार ने दावा किया था कि चीनी मिलों की बिक्री में प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं हुआ और पारदर्शी तरीके से इसे अंजाम दिया गया। लेकिन सीएजी रिपोर्ट में कहा गया कि तय प्रक्रिया के तहत चीनी मिलों की बिक्री नहीं हुई। सीएजी ने यह भी कहा था कि इन चीनी मिलों को मूल्य बाजार भाव से बेहद कम था। विनिवेश की इस प्रक्रिया में राज्य सरकार के राजस्व को भारी घाटा हुआ। याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य में दूसरी सरकार आने केबाद चीनी मिल के कबाड को दस करोड़ रुपये तक में बेचा गया।

याचिका में कहा गया है कि सीएजी रिपोर्ट में चीनी मिलों को बिक्री की प्रकिया को गलत बताया गया है और यह भी कहा कि इससे सरकार को राजस्व की भारी हानि हुई है बावजूद इसके सीसीआई ने सीएजी की रिपोर्ट को नजरअंदाज कर दिया।

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