BHU के महिला हॉस्टल के "लैंगिक भेदभाव" वाले नियमों पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी महिला महाविद्यालय क् महिला हॉस्टल के नियमों को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार हो गया है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में इन नियमों को लैंगिक भेदभाव वाला करार दिया गया है।
वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने कुछ छात्राओं की ओर से इस मामले को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच के सामने रखा। याचिका में कहा गया है कि हॉस्टल में रहने वाली लडकियां रात 8 बजे के बाद कैंपस में भी नहीं जा सकती। रात दस बजे के बाद टेलीफोन पर भी पाबंदी है। यहां तक कि वो शार्टस पहनकर मेस नहीं जा सकती। हॉस्टल के कमरे में वाईफाई और इंटरनेट के इस्तेमाल पर रोक है जबकि छात्र हॉस्टल में ये रोक नहीं लगाई गई हैं। छात्राएं मांसाहार भी नहीं खा सकती जबकि छात्र कभी भी कुछ भी खा सकते हैं। इतना ही नहीं छात्राएं किसी भी धरना प्रदर्शन यहां तक कि राजनीतिक बहस में शामिल नहीं हो सकती। छात्रों पर इसके लिए कोई रोक नहीं है।
प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि यदि कोई छात्रा किसी नियम का उल्लंघन करती है तो उसे हॉस्टल छोडने को कह दिया जाता है।
याचिका में मांग की गई है कि MVV हॉस्टल की गाइडलाइन को छात्र हॉस्टल की तरह बनाए जाने के आदेश दिए जाएं।
याचिका के मुख्य बिंदू
- हॉस्टल की छात्राएं रात 8 बजे के बाद लाइब्रेरी या कैंपस के किसी कार्यक्रम में भी नहीं जा सकती। यहां तक कि ये नियम घर जाने के लिए बस या ट्रेन लेने वाली छात्राओं पर भी लागू। अन्य हॉस्टल में छात्राओं को रात दस बजे तक छूट। छात्रों के लिए रात दस बजे तक बाहर रहने की इजाजत। ये वक्त बीतने पर भी किसी से इजाजत लेने की जरूरत नहीं। 2016 की यूजीसी की गाइडलाइन के मुताबिक छात्रों के लिए कोई कर्फ्यू टाइम लागू नहीं किया जा सकता।
- छात्राएं अपने कमरे में वाईफाई या इंटरनेट नहीं लगा सकतीं
- हॉस्टल में छात्राओं को कहा गया है कि वो कमरे से बाहर हॉस्टल क्षेत्र में ही अपनी पसंद के मुताबिक कपडे ना पहने बल्कि सभ्य पोशाक पहनें। छात्रों के लिए एेसा कोई नियम नहीं है।
- छात्राएं रात दस बजे के बाद मोबाइल पर बात नहीं कर सकती और अगर कोई करते हुए पाई गई तो मोबाइल का स्पीकर ऑन करने को कहा जाता है
- छात्रा का कोई भी अभिभावक हॉस्टल में नहीं रुक सकता। यहां तक कि वो किसी साथी को भी हॉस्टल नहीं ला सकतीं जबकि छात्रों के कमरे में अभिभावक रुक सकते हैं
- छात्राओं को हॉस्टल में मांसाहार नहीं दिया जाता जबकि छात्रों को मिलता है।
- छात्राओं को किसी धरना प्रदर्शन में भाग लेने की इजाजत नहीं है जबकि छात्रों पर कोई रोक नहीं है।
ये बात भी देखने वाली है कि 4 मई 2017 को कोर्ट ने आठ छात्रों के निलंबन को वापस कर दिया था और प्रशासन को इन छात्रों के लिए विशेष परीक्षा कराने के आदेश दिए थे। भूषण के मुताबिक ये कदम छात्रों की उस मांग को दबाने के लिए उठाया गया था जिसमें कैंपस में 24 घंटे खासतौर पर परी़क्षा के वक्त साइबर लाइब्रेरी खोलने को कहा जा रहा था। छात्रों ने इसके लिए भूख हडताल भी की जिसकी वजह से विवि प्रशासन ने उन्हें निलंबित कर दिया था।