दिल्ली हाईकोर्ट ने लगाई सूचना आयोग के फैसले पर मुहर, कहा IB संजीव चतुर्वेदी को रिपोर्ट सौंपने के लिए उत्तरदायी

Update: 2017-08-27 14:51 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने आईएफएस अफसर संजीव चतुर्वेदी को बडी राहत देते हुए केंद्रीय सूचना अायोग के आदेश पर मुहर लगाते हुए  इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को आईबी रिपोर्ट साझा करने को कहा है। इन रिपोर्ट के आधार पर हरियाणा में वन अधिकार के तौर पर पोस्टिंग के वक्त उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे।

जस्टिस संजीव सचदेवा ने केंद्र सरकार की उन दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया जिनमें कहा गया था कि आईबी रिपोर्ट सेक्शन 24(1) के प्रावधानों के तहत सावर्जनिक नहीं की जा सकती।

हाईकोर्ट ने कहा कि  सूचना के अधिकार  का सेक्शन 24 खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को ट्रांसपेरेंसी कानून के तहत छूट प्रदान करता है लेकिन ये छूट भ्रष्टाचार या मानवाधिकारों के हनन से जुडी रिपोर्ट पर लागू नहीं होती। एेसे में इन सूचनाओं को सावर्जनिक किया जाना चाहिए।

दिल्ली हाईकोर्ट का इस मामले में ये मत है कि प्रावधान के तहत ये छूट सिर्फ सूचना को लेकर है ना कि खुफिया एजेंसियों या सुरक्षा संगठनों को।

हाईकोर्ट पहुंचा ये मामला 2002 का है जब IFS अफसर संजीव चतुर्वेदी ने झज्जर और हिसार में करोडों से पौधे घोटाले को उजागर किया था। ये एक निजी जमीन पर सरकारी पैसे से बनाए गए हर्बल पार्क से जुडा होने से के साथ साथ सरस्वती वाइल्डलाइफ सेंचूरी में अवैध शिकार और प्लाईवुड यूनिट को लाइसेंस देने से जुडा है।

इसके बाद अफसर को निलंबित किया गया, भारी हर्जाना लगाया गया, विभागीय चार्जशीट के अलावा पुलिस व विजिलेंस केस और पांच साल में 12 ट्रांसफर किए गए। अक्टूबर 2012 में जीवन को खतरे और मुश्किलों को देखते हुए चतुर्वेदी ने हरियाणा से उतराखंड काडर में बदलाव का आवेदन किया। उस वक्त इसके लिए पर्यावरण मंत्रालय के सचिव ने अगस्त 2014 में आईबी से रिपोर्ट मांगी।

2015 में आईबी ने रिपोर्ट में माना कि चतुर्वेदी को जान का खतरा है और फिर उनका काडर बदलकर उन्हें एम्स में CIC नियुक्त किया गया।

पांच दिसंबर 2015 को कई झूठे केयों के चलते चतुर्वेदी ने हरियाणा से उतराखंड काडर में ट्रांसफर संबंधी सारे कागजात व फाइल मांगी। साथ ही उन्होंने दिल्ली सरकार में प्रतिनियुक्ति संबंधी दस्तावेज की जानकारी भी मांगी।

मंत्रालय ने सात जनवरी 2016 को सारी जानकारी भेजी और एक आईबी रिपोर्ट का हवाला भी दिया। 18 जनवरी 2016 को चतुर्वेदी ने RTI के जरिए ये रिपोर्ट मांगी लेकिन मंत्रालय ने इससे इंकार कर दिया। इस पर चतुर्वेदी ने केन्द्रीय सूचना आयोग में अपील कर दी। सूचना आयुक्त एम श्रीधर अर्चयालू ने 21 अप्रैल  2016 को आईबी की यह रिपोर्ट चतुर्वेदी को सौंपने के निर्देश दिए और कहा कि मानव अधिकार के उल्लंघन से जुडी रिपोर्ट दी जानी चाहिए।

आयोग ने आईबी द्वारा दाखिल रिपोर्ट में पाया कि चतुर्वेदी को कारवाई करने पर भ्रष्ट नेताओं और अफसरों से परेशान भी होना पडा। आयोग ने कहा कि रिपोर्ट से खुलासे से आईबी की खुफिया या सुरक्षा संबंधी गतिविधियों पर कोई फर्क नहीं पडेगा। रिपोर्ट में ये भी माना गया है कि चतुर्वेदी को हरियाणा सरकार द्वारा प्रताडित करने संबंधी सूचना सही प्रतीत होती है। इसलिए उनका काडर बदलने पर विचार किया जाना चाहिए।

चतुर्वेदी की दलील थी कि ये मामला भ्रष्टाचार और मानव अधिकारों से जुडा है और इसके तहत छूट नहीं दी जा सकती। केंद्र सरकार ने इस आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी और हाईकोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगाई। लेकिन 23 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट ने मानते हुए कि ये भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के हनन से जुडा मामला है, चतुर्वेदी को रिपोर्ट मुहैया कराने के आदेश दिए।

Similar News