सुप्रीम कोर्ट ने मालेगांव धमाके के आरोपी कर्नल पुरोहित को दी जमानत, हाईकोर्ट का पलटा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी लेफ्टीनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने बोंबे हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया है।
जमानत देते हुए जस्टिस आर के अग्रवाल और जस्टिस ए एम सपरे ने कहा कि प्रथम दृष्टया पुरोहित जमानत के हकदार लगते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक लाख का निजी मुचलका, इतनी ही राशि की दो श्योरिटी जमा करने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि कर्नल पुरोहित जब भी ट्रायल कोर्ट बुलाएगा, कोर्ट में हाजिर होंगे और वो देश छोडकर नहीं जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट इस जमानत याचिका पर 18 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस दौरान कर्नल पुरोहित ने माना था कि वो अभिनव भारत की बैठक में गए थे लेकिन ये भी कहा कि वो सेना के लिए जासूसी करने वहां गए थे।
गुरुवार को जस्टिस आर के अग्रवाल और जस्टिस अभय मनोहर सपरे की बेंच के सामने पुरोहित के वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि न्याय के हित में पुरोहित को जमानत मिलनी चाहिए। कर्नल पुरोहित का बम धमाके से कोई लिंक नहीं मिला है और अगर धमाके के आरोप हट जाते हैं तो अधिकतम सजा सात साल हो सकती है जबकि वो 9 साल से जेल में हैं।पुरोहित की ओर से ये भी माना गया कि वो अभिनव भारत संगठन की मीटिंग में गए थे। लेकिन वो सेना की जासूसी के लिए वहां गए थे।
पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में ये भी कहा कि उन्हें राजनीतिक क्रासफायर का शिकार बनाया गया है। हरीश साल्वे ने कहा था कि जब तक NIA सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल ना करे तब तक पुरोहित को अंतरिम जमानत दी जाए।
सुनवाई के दौरान NIA ने जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि कर्नल पुरोहित को जमानत देने का ये उचित समय नहीं है। ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने माना है कि वो बम बनाने और सप्लाई करने में शामिल थे।
इससे पहले NIA ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर 2008 मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित की जमानत का विरोध किया था। NIA ने अपने जवाब में कहा था कि साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का मामला ले कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित से अलग है। NIA ने अपने जवाब में कहा है कि पुरोहित के खिलाफ कई सबूत एकत्रित किए गए है।
याचिका में कर्नल पुरोहित ने कहा था कि वो कई साल से जेल में बंद हैं। इस मामले में बोंबे हाईकोर्ट ने सही फैसला नहीं दिया है। हाईकोर्ट ने इसी आधार पर साध्वी प्रज्ञा को जमानत दे दी लेकिन उनको जमानत देने से इंकार कर दिया। इसलिए उन्हें भी समानता के आधार पर जमीनत दे दी जाए।
याचिका में ये भी कहा था कि हाईकोर्ट ने सेना की कोर्ट आफ इंक्वायरी की रिपोर्ट पर गौर नहीं किया जिसमें कहा गया है कि वो सेना के लिए इंटेलीजेंस का काम करते थे।
गौरतलब है कि इसी साल 25 अप्रैल को 2008 के मालेगांव धमाका केस में बॉम्बे हाईकोर्ट से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को जमानत मिल गई थी। हाईकोर्ट ने प्रज्ञा पर लगाई गई मकोका धारा को भी हटा दिया था। जिसके बाद मकोका के तहत जुटाए गए सबूत भी केस से निकाल दिए गए। हालांकि इस मामले में कोर्ट ने कर्नल पुरोहित को जमानत देने से इंकार कर दिया था। हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को 5 लाख रुपए की जमानत राशि और अपना पासपोर्ट NIA को जमा कराने और साथ ही ट्रायल कोर्ट में हर तारीख पर पेश होने के आदेश दिए थे। पीठ ने उसे सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने और जब भी जरूरत हो एनआईए अदालत में रिपोर्ट करने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पहली नजर में साध्वी के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। 2008 में हुए मालेगांव धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी और तकरीबन 100लोग जख्मी हो गए थे। 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक बाइक में बम लगाकर विस्फोट किया गया था।साध्वी प्रज्ञा पर भोपाल, फरीदाबाद की बैठक में धमाके की साजिश रचने के आरोप लगे थे। साध्वी और पुरोहित को 2008 में गिरफ्तार किया गया था