अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत(आईसीजे) ने गुरूवार को भारत के पूर्व नेवी अधिकारी कुलभूषण जाधव को दी गई फांसी की सजा पर तत्कालिक रोक लगा दी है। जाधव को यह सजा पाकिस्तानी मिल्ट्री कोर्ट ने जासूसी के आरोप में दी थी।
कोर्ट ने इस मामले में पाकिस्तानी अधिकार क्षेत्र को लेकर पेश दलील को खारिज कर दिया है और कहा है कि वियना संधि के अनुसार जाधव को दूतावास के अधिकारियों से मिलने दिया जाए। कोर्ट ने पाकिस्तान की तरफ से पेश उस दलील को भी खारिज कर दिया,जिसमें कहा गया था कि भारत व पाकिस्तान के बीच दूतावास से संपर्क का निर्णय सिर्फ वर्ष 2008 के द्विपक्षीय अनुबंध के आधार पर हो सकता है।
पिछले महीने पाकिस्तान की फिल्ड जनरल कोर्ट मार्शल ने जाधव को फांसी की सजा सुनाई थी। जिसका भारत में काफी तेजगति से विरोध हुआ था। जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान को चेताया था कि अगर इस पूर्व नियोजित हत्या को अंजाम दिया गया तो इसके बुरे परिणाम भुगतने होंगे और इसका प्रभाव दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर भी पड़ेगा। हालांकि भारत ने यह माना था कि जाधव भारतीय नेवी में काम कर चुका है,परंतु इस बात से इंकार किया था कि उसका भारत सरकार से कोई संबंध है।
पिछले महीने भारतीय हाई कमीश्नर गौतम बंबावाले ने मिस्टर जाधव की तरफ से एक अपील पाकिस्तान के विदेश सचिव तहमीना जानजुआ को दी थी,उनको जाधव की मां की तरफ से भी एक पैटिशन दी गई थी। जिसमें जाधव से मिलने की इच्छा जाहिर की गई थी और मांग की गई थी कि पाकिस्तान सरकार जाधव को रिहा करने के मामले में हस्तक्षेप करे। इस अपील में भारत ने पाकिस्तान पर वियना संधि के उल्लंघन करने का आरोप लगाया था।
थ ही कहा था कि मिस्टर जाधव को हिरासत में लेने के काफी बाद उसे गिरफतार किया गया था,जिसके बाद ही भारत को सूचित नहीं किया गया। इतना ही नहीं पाकिस्तान ने जाधव को उसके अधिकारों के बारे में भी नहीं बताया। साथ ही यह भी आरोप लगाया कि वियना संधि का उल्लंघन किया गया और पाकिस्तानी अधिकारियों ने भारत के दूतावास के अधिकारियों को जाधव से मिलने के अधिकार से इंकार किया,जबकि इसके लिए बार-बार आग्रह किया गया था।
कोर्ट के ध्यान में यह भी लाया गया कि बाद में पाकिस्तान ने जांच में सहयोग करने का आग्रह किया और भारत से कहा कि वह पहले उनके इस आग्रह पर अपना जवाब दे,उसी के बाद उनके दूतावास के अधिकारियों को जाधव से मिलने देने पर विचार किया जाएगा। भारत ने कहा कि इस तरह की सोच अपने आप में वियना संधि का गंभीर उल्लंघन है।
भारत ने यह भी दलील दी कि अगर मिस्टर जाधव को सजा दे दी जाती है तो भारत द्वारा उसकी तरफ से जिन अधिकारों का दावा किया गया है,उनकी कोई भरपाई नहीं हो पाएगी। इसलिए मांग की गई कि जाधव की सजा पर तुरंत रोक लगाई जाए क्योंकि अगर यह तत्कालीन रोक नहीं लगाई गई तो पाकिस्तान इस मामले में कोर्ट का अंतिम फैसला आने से पहले ही जाधव को फांसी की सजा दे देगा। जिस कारण भारत कभी भी उसके अधिकारों के लिए नहीं लड़ पाएगा। भारत ने यह भी मांग की है कि पाकिस्तान को निर्देश दिया जाए कि वह अपनी मिल्ट्री कोर्ट के फैसले को रद्द कर दे। अगर पाकिस्तान ऐसा नहीं कर सकता है तो उस निर्णय को अवैध करार दे दिया जाए क्योंकि इससे अंतरराष्ट्रीय लाॅ व ट्रीटी राईट का उल्लंघन हो रहा है।