भारत ने खो दिया एक महान वकीलःअनिल दीवान को राम जेठमलानी ने दी श्रद्धांजलि
सीनियर एडवोकेट अनिल दीवान के दिवंगत होने के साथ ही देश के बार ने एक आदर्श मेंबर को खो दिया है,मैं उनको कई दशक से जानता था ओर वह मेरे भी आइडिल थे। वह लंबी-लंबी जनहित याचिकाओं के लिए अक्सर काम करते थे ओर इसके लिए कोई फीस भी नहीं लेते थे। मुझे उस समय काफी गर्व महसूस हुआ था,जब वह मेरे व मेरे कुछ पढ़े-लिखे दोस्तों के लिए एक जनहित याचिका में पेश हुए थे। इस चर्चित जनहित याचिका में वर्ष 2009 में सत्ताधारी कांग्रेस सरकार पर दबाव ड़ाला गया था क्योंकि हमें पता चला था कि हमारी सरकार ने जर्मनी सरकार के उस पब्लिक आॅफर को स्वीकार करने के लिए कुछ प्रयास नहीं किया,जिसमें एक हजार उन भारतीय अपराधियों के नाम का उल्लेख किया जाना था,जिन्होंने भारत से कालाधन कमाया था और उसे स्विट्जरलैंड विसनीटि में स्थित लिचटेनसटिन बैंक में रखा हुआ था। जर्मन सरकार ने इन सभी नामों की जानकारी एक बैंक कर्मी से ली थी।
उन्होंने इस केस को पूरे दो साल लड़ा और एक सफलतापूर्वक निर्णय तक पहंुचाया। वह इस बात से हैरान व गुस्से में थे कि न तो सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी और न ही विपक्ष में स्थित मुख्य पार्टी भाजपा ने इस कालेधन को वापिस लाने के लिए कोई प्रयास किया,जबकि यह पैसा गरीब भारतीयों का है।
मैं उनका बहुत आभारी हूं और अब उनके जाने के बाद मैं उनकी कमी को एक भाई व एक लाॅयल सर्वेट की कमी की तरह महसूस कर रहा हूं। वह एक महान वकील थे,जिनके अंदर सत्यनिष्ठा व स्वार्थ रहित प्रत्यायक भरे पड़े थे। मै। उनकी पत्नी व अन्य परिजनों को जानता हूं। हमारे साझे दोस्त थे,परंतु उनके इस तरह अचानक चले जाने से मैं काफी दुख महसूस कर रहा हूं। भगवान उनको सबसे उंचे स्वर्ग में रखे।