BREAKING: अभियुक्त को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए जाने के दो घंटे के अंदर लिखित आधार प्रस्तुत किए जाए, अन्यथा रिमांड होगी अवैध: सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

6 Nov 2025 7:26 PM IST

  • BREAKING: अभियुक्त को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए जाने के दो घंटे के अंदर लिखित आधार प्रस्तुत किए जाए, अन्यथा रिमांड होगी अवैध: सुप्रीम कोर्ट

    एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (6 नवंबर) को गिरफ्तारी के आधार लिखित रूप में देने की आवश्यकता को IPC/BNS के तहत सभी अपराधों पर लागू करने का निर्णय लिया, न कि केवल PMLA या UAPA जैसे विशेष कानूनों के तहत उत्पन्न होने वाले मामलों पर।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने कहा कि गिरफ्तार व्यक्ति को उसकी समझ में आने वाली भाषा में गिरफ्तारी के आधार लिखित रूप में न देने पर गिरफ्तारी और उसके बाद की रिमांड अवैध हो जाएगी।

    अदालत ने कहा,

    "भारत के संविधान के अनुच्छेद 22(1) के आलोक में गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधार बताने की आवश्यकता महज औपचारिकता नहीं है, बल्कि अनिवार्य बाध्यकारी संवैधानिक सुरक्षा है, जिसे संविधान के भाग III में मौलिक अधिकारों के अंतर्गत शामिल किया गया। इस प्रकार, यदि किसी व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी के आधार के बारे में यथाशीघ्र सूचित नहीं किया जाता है तो यह उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा, जिससे भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का हनन होगा और गिरफ्तारी अवैध हो जाएगी।"

    कोर्ट द्वारा संक्षेप में प्रस्तुत किए गए महत्वपूर्ण बिंदु:

    "i) गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधार बताना संवैधानिक आदेश है, जो सभी क़ानूनों के अंतर्गत आने वाले सभी अपराधों में अनिवार्य है, जिसमें IPC 1860 (अब BNS 2023) के अंतर्गत आने वाले अपराध भी शामिल हैं।

    ii) गिरफ्तारी के आधार गिरफ्तार व्यक्ति को उसकी समझ में आने वाली भाषा में लिखित रूप में बताए जाने चाहिए।

    iii) ऐसे मामलों में जहां गिरफ्तार करने वाला अधिकारी/व्यक्ति गिरफ्तारी के समय या उसके तुरंत बाद गिरफ्तारी के आधार लिखित रूप में बताने में असमर्थ हो, मौखिक रूप से ऐसा किया जाना चाहिए। उक्त आधारों को उचित समय के भीतर और किसी भी स्थिति में मजिस्ट्रेट के समक्ष रिमांड कार्यवाही के लिए गिरफ्तार व्यक्ति को पेश करने से कम से कम दो घंटे पहले लिखित रूप में बताया जाना चाहिए।

    iv) उपरोक्त का पालन न करने की स्थिति में गिरफ्तारी और उसके बाद की रिमांड अवैध मानी जाएगी और व्यक्ति को रिहा किया जा सकता है।"

    Cause Title: MIHIR RAJESH SHAH VERSUS STATE OF MAHARASHTRA AND ANOTHER

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