'एक्ट्रेस यौन उत्पीड़न मामले में ट्रायल जल्द खत्म होने की संभावना नहीं', मुख्य आरोपी पल्सर सुनी को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा

Shahadat

17 Sept 2024 11:56 AM IST

  • एक्ट्रेस यौन उत्पीड़न मामले में ट्रायल जल्द खत्म होने की संभावना नहीं, मुख्य आरोपी पल्सर सुनी को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने 2017 के एक्ट्रेस यौन उत्पीड़न मामले में मुख्य आरोपी सुनील एनएस, जिसे पल्सर सुनी के नाम से भी जाना जाता है, उसको जमानत दे दी, क्योंकि वह लंबे समय से जेल में है और मुकदमे की प्रगति धीमी है।

    साढ़े सात साल से अधिक समय से हिरासत में रहने वाले सुनी पर मलयालम एक्टर दिलीप और अन्य के साथ मिलकर फरवरी 2017 में कोच्चि के पास चलती गाड़ी में एक्ट्रेस का अपहरण और यौन उत्पीड़न करने की साजिश रचने का आरोप है।

    जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि अभियोजन पक्ष के 268 गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है और मामले में नौ आरोपी हैं, इसलिए सीआरपीसी की धारा 313 के तहत आरोपियों के बयान दर्ज करने सहित मुकदमा पूरा करने में काफी समय लगेगा।

    अदालत ने आदेश में कहा,

    "अपीलकर्ता साढ़े सात साल से अधिक समय से जेल में बंद है। अन्य सभी सह-आरोपियों को जमानत मिल चुकी है...हमने यह भी देखा है कि मुकदमे की प्रगति किस तरह हुई है। आरोपी नंबर 8 ने 15 फरवरी 2024 से 10 सितंबर 2024 तक जांच अधिकारी से क्रॉस एक्जामिनेशन की। उक्त गवाहों के बयान 1800 पृष्ठों के हैं। चूंकि 261 गवाहों की जांच हो चुकी है और मामले में नौ आरोपी शामिल हैं, इसलिए सीआरपीसी की धारा 313 के तहत बयान दर्ज करने में भी लंबा समय लगेगा। लंबी कैद और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मुकदमे के उचित समय के भीतर समाप्त होने की संभावना नहीं है, अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा करने का मामला बनता है।"

    अदालत ने यह भी ध्यान में रखा कि अन्य सभी सह-आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है। न्यायालय ने पाया कि जांच अधिकारी 15 फरवरी, 2024 से 10 सितंबर, 2024 तक दिलीप के वकील द्वारा जिरह के दौर से गुजर रहा था और बयान 1,800 पृष्ठों तक पहुंच गया था।

    इन कारकों पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माना कि मुकदमे में लंबी देरी और सुनी की लंबी कैद ने उसे जमानत देने को उचित ठहराया।

    न्यायालय ने निर्देश दिया कि सुनी को जमानत की शर्तों को अंतिम रूप देने के लिए एक सप्ताह के भीतर निचली अदालत के समक्ष पेश किया जाना चाहिए। शर्तों को अंतिम रूप देने से पहले राज्य का पक्ष सुना जाना चाहिए।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केरल हाईकोर्ट द्वारा सुनी पर जुर्माना नहीं लगाया जाना चाहिए, जब उसने उसकी 10वीं जमानत याचिका खारिज की थी, उसने 25,000 रुपये के जुर्माने में हस्तक्षेप नहीं करने का फैसला किया, क्योंकि यह राशि केरल कानूनी सेवा प्राधिकरण को निर्देशित की जाएगी।

    याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट के. परमेश्वार और अधिवक्ता श्रीराम परक्कट पेश हुए।

    न्यायालय ने पिछले महीने 2017 के अभिनेत्री यौन उत्पीड़न मामले में मुख्य आरोपी सुनील एनएस उर्फ ​​पल्सर सुनी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल राज्य से शेष गवाहों की संख्या के बारे में विवरण मांगा था। उस दिन कार्यवाही के दौरान पल्सर सुनी का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता श्रीराम परक्कट ने पीठ को सूचित किया कि अभियोजन पक्ष के गवाह (पीडब्लू-261) से एक्टर दिलीप के वकील पिछले 95 दिनों से पूछताछ कर रहे हैं। इस मामले में मलयालम के प्रमुख एक्टर दिलीप सह-आरोपी हैं, जिन पर एक्ट्रेस के अपहरण और यौन उत्पीड़न के पीछे साजिश रचने का आरोप है, जो फरवरी 2017 में कोच्चि के बाहरी इलाके में एक चलती गाड़ी में हुआ था।

    सुनी और उनके सह-आरोपियों के खिलाफ आरोपों में धारा 120 बी, 109, 342, 366, 354, 354 बी, 357, 376 डी, 201 और आईपीसी की धारा 212 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 ए और 66 ई शामिल हैं। मामले में कुल 10 आरोपी हैं।

    सुप्रीम कोर्ट ट्रायल की प्रगति की निगरानी कर रहा है, समय-समय पर ट्रायल जज से स्टेटस रिपोर्ट प्राप्त कर रहा है। 8 मई, 2023 को कोर्ट ने ट्रायल जज की रिपोर्ट के आधार पर ट्रायल को 31 जुलाई, 2023 तक पूरा करने की समय सीमा तय की थी। हालांकि, अगस्त 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने इस समय सीमा को बढ़ाकर 31 मार्च, 2024 कर दिया।

    केरल हाई कोर्ट ने इस साल की शुरुआत में पल्सर सुनी द्वारा दायर 10वीं जमानत याचिका खारिज की थी। हाईकोर्ट के जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने सुनी पर बार-बार जमानत याचिका दायर करने के लिए 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया, जिसमें कहा गया कि उनकी 10वीं याचिका पिछले आवेदन के खारिज होने के तीन दिनों के भीतर दायर की गई। कोर्ट ने कहा कि सुनी परिस्थितियों में किसी भी बदलाव के बिना जमानत याचिका दायर कर रहे थे।

    हाई कोर्ट ने कहा कि उसने सुनी की सभी दलीलों पर विचार किया और उनकी जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया। इसने पाया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी दो बार उसकी जमानत याचिका खारिज की, एक बार 2022 में और दूसरी बार 2023 में।

    हाईकोर्ट ने उन वित्तीय संसाधनों पर टिप्पणी की, जो सात साल से अधिक समय तक हिरासत में रहने के बावजूद, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों के समक्ष बार-बार अलग-अलग वकीलों को नियुक्त करने के लिए सुनी के पास उपलब्ध थे। हाईकोर्ट ने यह भी बताया कि सुनी के मामले में अपहरण और हमले में साजिश के आरोप शामिल हैं, जिसमें कथित तौर पर दिलीप अपराध के पीछे मास्टरमाइंड है।

    हाईकोर्ट ने पाया कि सुनी ने कई जमानत याचिकाएं दायर की थीं, जिनमें से सभी खारिज कर दी गईं। हाईकोर्ट ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सुनी की हालिया जमानत याचिकाओं में तथ्यों या परिस्थितियों में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं था, 10वीं याचिका को "तुच्छ" कहा।

    हाईकोर्ट ने विनीत बनाम केरल राज्य (2015) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि अदालतों के पास ऐसे मामलों में लागत लगाने का अधिकार है, जहां पक्ष देरी करने की रणनीति अपनाते हैं या अदालत को गुमराह करने का प्रयास करते हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि उचित मामलों में जुर्माना लगाया जा सकता है, खासकर तब जब ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता कार्यवाही में देरी करने या न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने का प्रयास कर रहा है।

    केस टाइटल- सुनील एनएस बनाम केरल राज्य

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