सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु पीडब्ल्यूडी में असिस्टेंट इंजीनियरों के रूप में टेक्निकल असिस्टेंट्स की नियुक्ति बरकरार रखी

Shahadat

17 April 2024 5:21 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु पीडब्ल्यूडी में असिस्टेंट इंजीनियरों के रूप में टेक्निकल असिस्टेंट्स की नियुक्ति बरकरार रखी

    लोक निर्माण विभाग (PWD) में टेक्निकल असिस्टेंस् को असिस्टेंट इंजीनियर के रूप में नियुक्त करने के तमिलनाडु सरकार का फैसला बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (16 अप्रैल) को तमिलनाडु में राज्य में इंजीनियर अधीनस्थ सेवाओं से पदोन्नत अभ्यर्थियों के लिए पद छोड़े बिना असिस्टेंट के सभी पदों को हथियाने के लिए एसोसिएशन ऑफ इंजीनियर्स के रवैये पर नाराजगी व्यक्त की।

    जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने कहा,

    “इस प्रकार यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि राज्य सरकार को टेक्निकल असिस्टेंट्स को अस्थायी आधार पर असिस्टेंट इंजीनियर के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लेने की आवश्यकता है, क्योंकि यह पाया गया कि असिस्टेंट इंजीनियर के पद के लिए आवंटित 122 रिक्तियों में से भर्ती द्वारा भरा जाना है। अब तक केवल 29 रिक्तियां भरी गईं। ऐसा प्रतीत होता है कि अपीलकर्ता संघ का प्रयास उपलब्ध सभी पदों को, यहां तक कि अधीनस्थ सेवाओं से पदोन्नत उम्मीदवारों के लिए आवंटित पदों को भी हड़पने का है। हमारे विचार में उक्त रवैया पूरी तरह से असमान है।''

    मामला तमिलनाडु राज्य में असिस्टेंट इंजीनियरों की नियुक्ति से संबंधित है, जहां कुल पदों में से 75% पद सीधी भर्ती के माध्यम से भरे जाने थे, और शेष 25% पद भर्ती द्वारा भरे जाने थे।

    स्थानांतरण द्वारा शेष रिक्तियों को भरने के लिए योग्य उम्मीदवारों की कमी के कारण राज्य सरकार ने टेक्निकल असिस्टेंट्स की श्रेणी में 21 व्यक्तियों की नियुक्ति के निर्देश जारी किए, जिनके पास बी.ई./ए.एम.आई.ई. सिविल इंजीनियरिंग में योग्यता और अस्थायी आधार पर 5 साल की सेवा प्रदान की।

    असिस्टेंट इंजीनियर के पद पर टेक्निकल असिस्टेंट्स की नियुक्ति को अपीलकर्ता/इंजीनियरों के संघ ने यह कहते हुए चुनौती दी कि ऐसी नियुक्ति मनमानी और अवैध है, क्योंकि पूरी भर्ती प्रक्रिया एसोसिएशन के लिए आरक्षित 75% पदों का अतिक्रमण करती है और बैकडोर एंट्री यानी बिना परीक्षा आयोजित किए की गई।

    इस तरह के तर्क को खारिज करते हुए जस्टिस बीआर गवई द्वारा लिखे गए फैसले में कहा गया कि टेक्निकल असिस्टेंट किसी भी तरह से सीधे भर्ती किए गए असिस्टेंट इंजीनियरों के लिए आवंटित कोटा का अतिक्रमण नहीं कर रहे हैं।

    एसोसिएशन के इस तर्क के संबंध में कि यदि उत्तरदाताओं/टेक्निकल असिस्टेंट्स को असिस्टेंट इंजीनियर के पद पर नियुक्त किया गया तो उनकी पदोन्नति का कोटा गड़बड़ा जाएगा। अदालत ने स्पष्ट किया कि सीधी भर्ती और पदोन्नत लोगों के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं होगी।

    अदालत ने स्पष्ट किया,

    "सीधी भर्ती वाले लोग उनके लिए आवंटित 75% कोटा से पदोन्नति पद पाने के हकदार होंगे, वहीं टेक्निकल असिस्टेंट्स और उनके बीच रखे गए अन्य लोग केवल उनके लिए आवंटित 25% कोटा से पदोन्नति पद पाने के हकदार होंगे।"

    अदालत ने अपीलकर्ता-एसोसिएशन के रवैये को सभी उपलब्ध पदों को हथियाने के लिए असमान बताया, यहां तक कि अधीनस्थ सेवाओं से पदोन्नत उम्मीदवारों के लिए आवंटित पद भी।

    यह देखते हुए कि संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत अदालत के किसी भी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है, अदालत ने अपील खारिज कर दी।

    केस टाइटल: एसोसिएशन ऑफ इंजीनियर्स बनाम तमिलनाडु राज्य

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