सुप्रीम कोर्ट ने DMK के NEET विरोधी अभियान के खिलाफ याचिका खारिज की; कहा- स्टूडेंट अच्छी तरह जानते हैं, वे प्रभावित नहीं होंगे

Shahadat

2 Jan 2024 10:52 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने DMK के NEET विरोधी अभियान के खिलाफ याचिका खारिज की; कहा- स्टूडेंट अच्छी तरह जानते हैं, वे प्रभावित नहीं होंगे

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (2 जनवरी) को उस जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया, जो राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET) एग्जाम के खिलाफ तमिलनाडु के सत्तारुढ़ दल डीएमके द्वारा चलाए जा रहे हस्ताक्षर अभियान को चुनौती देते हुए दायर की गई थी।

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने कहा,

    “हमने याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत रूप से काफी देर तक सुना है। हमारी सुविचारित राय है कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत क्षेत्राधिकार लागू करने के लिए उपयुक्त मामला नहीं है। इसलिए हम इस याचिका पर विचार करने से इनकार करते हैं।”

    सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता के इस दावे पर कि अभियान के परिणामस्वरूप स्टूडेंट परेशान हो सकते हैं, क्योंकि उन्हें NEET एग्जाम का सामना करना पड़ सकता है, जस्टिस कांत ने कहा:

    "सौभाग्य से अब हमारे पास एक बहुत ही जागरूक पीढ़ी है... हमारे बच्चे इतने मासूम नहीं हैं... वे हमारी पीढ़ी से बहुत आगे हैं, इसलिए वे सब कुछ समझते हैं... कि मकसद क्या है, एजेंडा क्या है..."

    बेंच ने कहा कि NEET प्रतियोगी एग्जाम, जो अखिल भारतीय आधार पर आयोजित की जानी है और यह अभियान से प्रभावित नहीं होगी।

    वकील एमएल रवि द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा NEET एग्जाम की अनुमति दिए जाने के बावजूद DMK स्कूलों में हस्ताक्षर अभियान चला रही है।

    इसमें आरोप लगाया गया कि अभियान के दौरान, स्कूली स्टूडेंट को NEET एग्जाम के खिलाफ पढ़ाया जा रहा है। उनसे हस्ताक्षर करवाए जा रहे हैं। इसके अलावा, यह कहा गया कि यह अभ्यास स्टूडेंट के माता-पिता की अनुमति के बिना हो रहा है।

    आगे दावा किया गया कि संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत कोई भी नागरिक या राजनीतिक दल विरोध कर सकता है और उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन ऐसा अधिकार स्कूलों में और उन स्टूडेंट के साथ नहीं दिया जा सकता, जिनके पास मतदान का अधिकार भी नहीं है।

    जनहित याचिका में कहा गया कि स्कूल परिसरों में ऐसी राजनीतिक गतिविधि की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

    इसमें यह भी कहा गया कि हस्ताक्षर अभियान उन स्टूडेंट को परेशान कर सकता है, जिन्हें NEET एग्जाम का सामना करना पड़ता है। सत्तारूढ़ दल होने के नाते DMK को NEET के खिलाफ स्टूडेंट से हस्ताक्षर करवाने के लिए स्कूल परिसरों में प्रवेश करने का अनुचित लाभ नहीं दिया जाना चाहिए।

    इसके अलावा, याचिका में उल्लेख किया गया कि हस्ताक्षर अभियान का स्कूली स्टूडेंट को राजनीतिक गतिविधि में शामिल करने का प्रभाव है।

    केस टाइटल: एमएल रवि बनाम तमिलनाडु सरकार के सचिव और अन्य।

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