सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व पीएफआई प्रमुख अबूबकर की मेडिकल आधार पर जमानत याचिका खारिज की, घर में नजरबंदी की अनुमति का अनुरोध भी ठुकराया
Avanish Pathak
17 Jan 2025 8:19 AM

सुप्रीम कोर्ट ने आज (17 जनवरी) प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पूर्व अध्यक्ष ई अबूबकर की चिकित्सा आधार पर जमानत की याचिका खारिज कर दी।
अबूबकर फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। उन्हें भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 120बी और 153ए और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 17, 18, 18बी, 20, 22बी 38 और 39 के तहत गिरफ्तार किया गया था।
उन्हें सितंबर 2022 में प्रतिबंधित संगठन पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई के दौरान एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किया गया था, जिसमें केंद्र सरकार ने यूएपीए के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत पीएफआई और संबंधित संस्थाओं पर पांच साल की अवधि के लिए प्रतिबंध लगा दिया था।
12 नवंबर को जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को अबूबकर की गहन जांच करने के लिए एक मेडिकल टीम गठित करने का निर्देश दिया ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह चिकित्सा आधार पर जमानत के हकदार हैं या नहीं।
आज, अबुबकर की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट उनके पक्ष में है। उन्होंने कुछ निर्णयों का हवाला दिया, जहां आतंकवाद से संबंधित इसी तरह के आरोप सामने आए थे और न्यायालय ने चिकित्सा आधार पर जमानत दी थी।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू (राष्ट्रीय जांच एजेंसी के लिए) ने तर्क दिया कि उनके द्वारा उठाए गए सभी चिकित्सा स्थितियों को विभिन्न उपचारों के माध्यम से अनुकूलित किया गया है और इसलिए, उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती।
जस्टिस सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि वे इस स्तर पर चिकित्सा आधार पर जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं हैं और याचिकाकर्ता को ट्रायल कोर्ट जाने की स्वतंत्रता दी।
हालांकि, जब शंकरनारायण ने वैकल्पिक प्रार्थना करने की कोशिश की कि याचिकाकर्ता को घर में नजरबंद रखा जा सकता है, तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि घर में नजरबंद करने का अनुरोध करना अब एक "नई अवधारणा" बन गई है।
केस डिटेल: अबुबकर ई बनाम राष्ट्रीय जांच एजेंसी, डायरी नंबर 32949-2024