हाथरस भगदड़ की जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार, याचिकाकर्ता से हाईकोर्ट जाने को कहा

Shahadat

12 July 2024 5:30 AM GMT

  • हाथरस भगदड़ की जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार, याचिकाकर्ता से हाईकोर्ट जाने को कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस भगदड़ की घटना के संबंध में दायर जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा कि हर मामले को अनुच्छेद 32 के तहत दायर करने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट मजबूत न्यायालय हैं और वे इस तरह के मामलों से निपटने के लिए बने हैं।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता एडवोकेट विशाल तिवारी से कहा,

    "हर चीज अनुच्छेद 32 के तहत जनहित याचिका में आने की आवश्यकता नहीं है; आप हाईकोर्ट में दायर करें। इन सबका उद्देश्य घटनाओं को लेकर बड़ा मुद्दा बनाना है। जाहिर है (वे) बहुत परेशान करने वाली घटनाएं हैं। हाईकोर्ट मजबूत न्यायालय हैं, वे इस तरह के मामलों से निपटने के लिए बने हैं।"

    तदनुसार, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ता को संबंधित हाईकोर्ट में जाने की स्वतंत्रता प्रदान की।

    न्यायालय ने आदेश दिया,

    "संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए सक्षम हाईकोर्ट में जाने की स्वतंत्रता।"

    हाथरस में 02 जुलाई को सूरज पाल उर्फ ​​नारायण साकर हर नामक स्वयंभू संत की प्रार्थना सभा में भगदड़ मच गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस घटना में 121 लोगों की मौत हो गई।

    वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर वर्तमान जनहित याचिका में घटना की जांच के लिए रिटायर सुप्रीम कोर्ट जज की देखरेख में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की नियुक्ति की मांग की गई।

    इसके अलावा, याचिका में न्यायालय से उत्तर प्रदेश राज्य को इस घटना के लिए स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने और व्यक्ति, अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ उनके लापरवाह आचरण के लिए कानूनी कार्रवाई शुरू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया।

    भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए तिवारी ने राज्य सरकारों को निर्देश देने की भी मांग की कि वे उन मामलों के लिए दिशा-निर्देश जारी करें, जहां बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं।

    याचिका में कहा गया,

    इस तरह की घटना प्रथम दृष्टया सरकारी अधिकारियों द्वारा जनता के प्रति जिम्मेदारी में चूक, लापरवाही और देखभाल के प्रति बेईमानी की गंभीर स्थिति को दर्शाती है। पिछले एक दशक से हमारे देश में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनमें कुप्रबंधन, कर्तव्य में चूक, लापरवाह रखरखाव गतिविधियों के कारण बड़ी संख्या में लोगों की जान गई है, जिन्हें टाला जा सकता था, लेकिन इस तरह की मनमानी और अधूरी कार्रवाइयों के कारण ऐसी घटनाएं हुई हैं।"

    धार्मिक उत्सवों, समारोहों और कार्यक्रमों में हुई भगदड़ की ऐसी ही घटनाओं का हवाला देते हुए इसे समर्थन दिया गया।

    केस टाइटल: विशाल तिवारी बनाम भारत संघ और अन्य, डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 428/2024

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