सुप्रीम कोर्ट ने 65 वर्षीय दृष्टिहीन आरोपी को जमानत दी, कहा- ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट आना दुर्भाग्यपूर्ण
Amir Ahmad
20 May 2025 5:06 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 65 वर्षीय आरोपी को जमानत दी उक्त आरोपी 50% दृष्टि विकलांगता से पीड़ित है और 7 महीने से हिरासत में है।
जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस उज्जल भूइयां की पीठ ने यह टिप्पणी की कि ऐसे मामूली अपराधों में भी आरोपी को जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट तक आना पड़े यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
कोर्ट ने कहा,
"ये अपराध मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय हैं। अपीलकर्ता 65 वर्ष का है और 50% दृष्टिहीनता से पीड़ित है। वह 7 महीने से अधिक समय से जेल में है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे मामलों में भी आरोपी को सुप्रीम कोर्ट तक आना पड़ता है।”
अपीलकर्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जालसाज़ी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाज़ी), 471 (जाली दस्तावेज को असली के रूप में इस्तेमाल करना) और 120B (आपराधिक साज़िश) के तहत मुकदमा चल रहा है।
कोर्ट ने आदेश दिया कि अपीलकर्ता को एक सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश किया जाए और ट्रायल कोर्ट उसे उपयुक्त शर्तों पर जमानत दे जिसमें नियमित रूप से अदालत में पेश होना और मुकदमे में सहयोग करना शामिल हो।
मामला
पिछले वर्ष भी जस्टिस ओक की पीठ ने ऐसे ही एक मामले में आरोपी को जमानत दी थी, जिसमें आरोपी एक साल से ज्यादा समय से हिरासत में था जबकि मामला मजिस्ट्रेट के अधिकार क्षेत्र में था और चार्ज तक तय नहीं हुए थे।
तब जमानत देते हुए जस्टिस ओक ने मौखिक रूप से टिप्पणी की थी
"यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब लोगों को मजिस्ट्रेट स्तर के मामलों में भी जमानत नहीं मिलती और उन्हें सुप्रीम कोर्ट तक आना पड़ता है।"
टाइटल: राधेश्याम शर्मा बनाम राजस्थान राज्य

