झारखंड हाईकोर्ट में 31 जनवरी से पहले सुरक्षित 47 सिविल मामलों में अब तक निर्णय घोषित नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट जताई हैरानी
Praveen Mishra
11 Nov 2025 3:14 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यह जानकर गंभीर चिंता व्यक्त की कि झारखंड हाईकोर्ट में 31 जनवरी 2025 से पहले जिन 61 सिविल मामलों में निर्णय सुरक्षित (reserved) रखे गए थे, उनमें से 47 मामलों में अब तक निर्णय सुनाए नहीं गए हैं।
यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ को झारखंड हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा दी गई। पीठ ने हाईकोर्ट द्वारा दाखिल हलफनामे (affidavit) का अवलोकन करने के बाद, मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई के आदेश के अधीन इस मामले को न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ के समक्ष भेज दिया, क्योंकि वे इसी विषय से जुड़े एक अन्य मामले की सुनवाई कर रहे हैं, जो झारखंड हाईकोर्ट में लंबित निर्णयों से संबंधित है।
खंडपीठ ने कहा, “हमने झारखंड हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा दाखिल हलफनामे का अध्ययन किया है। इसमें दी गई जानकारी न्यायिक चेतना को झकझोर देने वाली है। चूंकि इस मुद्दे पर एक बड़ा मामला इस न्यायालय की दूसरी पीठ के समक्ष W.P.(C) No.489/2025 में लंबित है, जिसकी सुनवाई 14 नवंबर 2025 को निर्धारित है, इसलिए रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि वह मुख्य न्यायाधीश के उचित आदेश प्राप्त कर इस मामले को उसी याचिका के साथ सूचीबद्ध करे।”
गौरतलब है कि जस्टिस सूर्यकांत की पीठ गृह रक्षकों (Home Guards) की भर्ती प्रक्रिया से जुड़ी 6 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिनमें भी झारखंड हाईकोर्ट द्वारा दो वर्ष (2023 से) निर्णय न सुनाए जाने की शिकायत की गई थी।
8 अगस्त 2025 को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ताओं के मामलों में आदेश जारी कर दिए गए हैं। हालांकि, हाईकोर्ट द्वारा दाखिल सीलबंद रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि 61 अन्य मामलों के निर्णय अभी तक जारी नहीं किए गए हैं।
अदालत ने झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीशों को निर्देश दिया था कि वे जल्द से जल्द “तर्कसंगत आदेश” (reasoned orders) जारी करें और “अत्यधिक न्यायशास्त्र (jurisprudence)” पर ध्यान देने के बजाय लंबित मामलों को निपटाने पर जोर दें। सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक सुझाव दिया था कि न्यायाधीश चाहें तो अवकाश लेकर भी लंबित निर्णयों का निस्तारण कर सकते हैं।
नवंबर में फिर से सुनवाई निर्धारित करते हुए अदालत ने हाईकोर्ट से कहा था कि सुरक्षित रखे गए निर्णयों की लंबित स्थिति पर तत्काल कदम उठाए जाएं।
अब रजिस्ट्रार जनरल द्वारा दायर हलफनामे में बताया गया है कि 61 सिविल मामलों में से 47 मामलों में निर्णय अब तक नहीं सुनाए गए हैं, जिनमें से 46 निर्णय एक ही न्यायाधीश द्वारा सुनाए जाने हैं, जबकि 1 निर्णय दूसरे न्यायाधीश के पास लंबित है।

