सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भूषण स्टील के पूर्व एमडी नीरज सिंघल की जमानत याचिका पर ED को नोटिस जारी किया

Shahadat

26 Jun 2024 4:52 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भूषण स्टील के पूर्व एमडी नीरज सिंघल की जमानत याचिका पर ED को नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने भूषण स्टील लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक नीरज सिंघल की याचिका पर नोटिस जारी किया। उक्त याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उनकी गिरफ्तारी और जमानत खारिज किए जाने को चुनौती दी गई।

    सिंघल को पिछले साल 9 जून को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बैंक धोखाधड़ी मामले में कथित संलिप्तता और मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए गिरफ्तार किया था।

    आरोपों के अनुसार, सिंघल ने 46,000 करोड़ रुपये से अधिक का सार्वजनिक नुकसान पहुंचाया। ED का कहना है कि याचिकाकर्ता ने अन्य आरोपी व्यक्तियों/व्यावसायिक संस्थाओं के साथ मिलकर जानबूझकर बीएसएल और अन्य समूह कंपनियों के नाम पर ऋण निधि के अवैध अधिग्रहण का सहारा लिया और 150 से अधिक कंपनियों के जटिल जाल के माध्यम से अपराध की आय को लूटने में लिप्त रहा, जिसका एक ही मूल है यानी नीरज सिंघल और भारत भूषण का स्वामित्व और नियंत्रण।

    इस साल की शुरुआत में दिल्ली हाईकोर्ट ने सिंघल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका और मामले में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

    अदालत ने पाया कि सिंघल की गिरफ्तारी के समय (यानी 09 जून, 2023) गिरफ्तारी के आधारों के बारे में मौखिक संचार पीएमएलए की धारा 19(1) के प्रावधानों का उचित अनुपालन था।

    कार्यवाही की शुरुआत में सिंघल की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट रंजीत कुमार ने दलील दी कि सिंघल को गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं बताया गया। इसके बाद अदालत ने तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए एक नोटिस जारी किया।

    गौरतलब है कि जस्टिस विकास महाजन की एकल पीठ ने कहा कि गिरफ्तारी के समय सिंघल को दिखाए गए 'गिरफ्तारी के आधार' तीन पृष्ठों में थे, जिस पर दो स्वतंत्र गवाहों ने हस्ताक्षर किए, जिससे इस बात को बल मिलता है।

    अदालत ने कहा,

    "पूर्णता के लिए यह उल्लेख किया जा सकता है कि उपरोक्त प्रश्न अब पंकज बंसल (सुप्रा) में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय द्वारा सुलझा लिया गया, लेकिन इसमें निहित निर्देश जो गिरफ्तार करने वाले अधिकारी के लिए गिरफ्तार व्यक्ति को लिखित रूप में गिरफ्तारी के आधारों के बारे में सूचित करना अनिवार्य बनाते हैं, प्रकृति में भावी हैं।"

    केस टाइटल: नीरज सिंघल बनाम प्रवर्तन निदेशालय, डायरी नंबर 15175-2024

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