सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अब्बास अंसारी की जमानत याचिका पर ED को नोटिस जारी किया
Shahadat
15 Aug 2024 10:27 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मऊ से विधायक अब्बास अंसारी द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया। यह याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार करने के आदेश के खिलाफ दायर की गई।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 9 मई को अब्बास को जमानत देने से इनकार करते हुए स्पष्ट रूप से कहा था कि वह इस स्तर पर PMLA की धारा 45 के अनुसार प्रथम दृष्टया यह संतुष्टि नहीं कर सकता है कि आवेदक दोषी नहीं है या जमानत पर कोई अपराध नहीं कर सकता है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने 15 मई को अब्बास को 11 और 12 जून को अपने दिवंगत पिता दिवंगत गैंगस्टर-राजनेता मुख्तार अंसारी की याद में आयोजित निजी प्रार्थना सभा में भाग लेने की अनुमति दी।
जस्टिस एम.एम. सुंद्रेश और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ के समक्ष सीनिययर एडवोकेट कपिल सिब्बल (अंसारी के वकील) ने शुरू में कहा:
"यदि आप अंसारी हैं, तो आपको जेल में होना चाहिए। प्रतिवादी यही कहते हैं।"
आदेश जारी करते हुए अदालत ने मौखिक रूप से टिप्पणी की:
"कभी-कभी, [जय] के अंदर रहना सुरक्षित होता है।"
मामले की पृष्ठभूमि
प्रवर्तन निदेशालय (ED) के मामले के अनुसार, अंसारी ने दो फर्मों (मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन और मेसर्स आगाज़) का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया। उस पर PMLA की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया और नवंबर 2022 में उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
ED का मामला है कि मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन नामक साझेदारी फर्म अंसारी द्वारा अनुसूचित अपराध करने और अपराध की आय उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला मुख्य साधन था।
फर्म ने कथित तौर पर जालसाजी, धोखाधड़ी और आपराधिक अतिचार का सहारा लेकर मऊ और गाजीपुर जिलों में सरकारी जमीन हड़प ली। फर्म का इस्तेमाल सार्वजनिक अनुबंध हासिल करने के लिए किया गया था, इसलिए जब भी तत्काल फर्म द्वारा बोली लगाई जाती थी तो अनुबंध हमेशा उक्त फर्म को ही मिलते थे। उक्त फर्म गोदामों के निर्माण के लिए सार्वजनिक बैंकों से ऋण लेती थी, जिसे बाद में भारतीय खाद्य निगम और उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम को किराए के रूप में दिया जाता था और उनसे प्राप्त किराया कई करोड़ रुपये था।
इसके अतिरिक्त, नाबार्ड से 67 लाख से अधिक की सब्सिडी भी प्राप्त हुई थी। प्राप्त किराए से उत्पन्न राशि न केवल मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन के अकाउंट में बल्कि दूसरी पारिवारिक फर्म मेसर्स आगाज़ में भी भेजी गई और उसके बाद परतें बनाकर, पैसे को नकद के रूप में निकाला गया और मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन के ऋण खाते में जमा किया गया, जिससे ऐसी दरों पर अचल संपत्तियां खरीदी जा सकें, जो बाजार मूल्य से काफी कम थीं।
इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, ED ने आरोप लगाया कि आवेदक के अकाउंट में कई उच्च-मूल्य के लेनदेन जमा और डेबिट किए गए थे, जिसका बाद में स्पष्टीकरण नहीं दे सका। ED ने यह भी आरोप लगाया कि फर्म मेसर्स के प्रमुख शेयरधारक। विकास कंस्ट्रक्शन में सुश्री अफशार अंसारी (आवेदक की मां) और श्री आतिफ रजा (मामा-मामाजी) शामिल हैं।
केस टाइटल: अब्बास अंसारी बनाम प्रवर्तन निदेशालय, इलाहाबाद, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 10598/2024