सुप्रीम कोर्ट ने गौरी लंकेश हत्याकांड के आरोपियों की जमानत रद्द करने की याचिका पर नोटिस जारी किया

Shahadat

16 Jan 2024 7:28 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने गौरी लंकेश हत्याकांड के आरोपियों की जमानत रद्द करने की याचिका पर नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के मामले में आरोपी को जमानत देने को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।

    लंकेश की छोटी बहन कविता लंकेश द्वारा दायर याचिका में मोहन नायक को दी गई जमानत रद्द करने की मांग की गई, जिस पर हत्या की साजिश का हिस्सा होने का आरोप है।

    लंकेश की 2017 में बेंगलुरु में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वह पत्रकार और कन्नड़ टैब्लॉइड लंकेश पत्रिके की संपादक थीं। उसकी हत्या के बाद जांच शुरू की गई और आरोप पत्र दायर किया गया, जबकि आगे की जांच जारी रही।

    कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (सीओसीए) के तहत प्रावधानों को लागू करने की मंजूरी मिलने के बाद अतिरिक्त आरोप पत्र दायर किया गया, जिसमें नायक को आरोपी नंबर 11 के रूप में आरोपित किया गया। उन्हें 2018 में गिरफ्तार किया गया। नायक के खिलाफ आरोप यह है कि उसने हत्या की साजिश के तहत आरोपी नंबर 2 और 3 को शरण दी थी, जिन्होंने लंकेश को गोली मारी थी।

    हालांकि नायक ने विभिन्न अदालतों में कई बार जमानत के लिए आवेदन किया, लेकिन पिछले साल 7 दिसंबर तक उन्हें राहत नहीं मिली, जब कर्नाटक हाईकोर्ट ने उन्हें यह कहते हुए जमानत दे दी कि उन्होंने 5 साल से अधिक समय हिरासत में बिताया है और मुकदमे के जल्द पूरा होने की संभावना नहीं है।

    जांचे गए गवाहों के बयानों के संबंध में कर्नाटक हाईकोर्ट ने पाया कि गवाहों ने उन बैठकों में नायक की उपस्थिति के बारे में गवाही नहीं दी, जिनमें कथित तौर पर लंकेश की हत्या की योजना बनाई गई थी।

    आगे यह नोट किया गया कि COCA लागू करने की मंजूरी प्राप्त करने से पहले आरोपी व्यक्तियों के इकबालिया बयान दर्ज किए गए। इसके अलावा, एक्ट की धारा 19 के तहत आवश्यकताओं का अनुपालन नहीं किया गया।

    उपरोक्त के अलावा, हाईकोर्ट ने माना कि भले ही COCA के तहत नायक के खिलाफ आरोप साबित हो गए हों, अपराध विशेष रूप से मौत या आजीवन कारावास से दंडनीय नहीं है। न्यूनतम सजा के लिए 5 साल की कैद का प्रावधान है और नायक पहले ही उस अवधि के लिए कैद की सजा काट चुका है।

    यह टिप्पणी करते हुए कि मुकदमे में देरी के लिए नायक जिम्मेदार नहीं है, जमानत दे दी गई। व्यथित याचिकाकर्ता-कविता लंकेश ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    गौरतलब है कि सीबीआई ने 2017 में पुणे की अदालत को सूचित किया कि गौरी लंकेश की हत्या पुणे के अंधविश्वास विरोधी एक्टिविस्ट नरेंद्र दाभोलकर की हत्या से जुड़ी हुई है। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसी से पूछा था कि क्या दाभोलकर, लंकेश, गोविंद पानसरे (सीपीआई नेता और लेखक) और एमएम कलबुर्गी (प्रोफेसर और लेखक) की हत्याओं के बीच कोई संबंध है।

    आरोप हैं कि उपरोक्त हत्याएं मारे गए लेखकों/एक्टिविस्ट द्वारा व्यक्त विचारों के विरोधी दक्षिणपंथी कट्टरपंथियों की करतूत हैं। एक अन्य मामले में अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने के दाभोलकर की बेटी के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल कहा था कि सीबीआई बड़ी साजिश के मुद्दे की जांच करने के लिए उक्त दस्तावेजों पर गौर कर सकती है।

    याचिकाकर्ता के वकील: हुज़ेफ़ा अहमदी; एओआर अपर्णा भट्ट; वकील रोहन शर्मा और रश्मी सिंह।

    केस टाइटल: कविता लंकेश बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य, विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) डायरी नंबर 52512/2023

    ऑर्डर पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




    Next Story