सुप्रीम कोर्ट ने उन दो जनहित याचिकाएं को खारिज किया, जिनमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिला आरक्षण को स्थगित करने को चुनौती दी गई
Avanish Pathak
10 Jan 2025 3:33 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (10 जनवरी) संविधान (एक सौ छःवां संशोधन) अधिनियम, 2023 के क्रियान्वयन और परिसीमन खंड को चुनौती देने से जुड़ी दो जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया। न्यायालय ने मौखिक रूप से कहा कि अनुच्छेद 14 के अंतर्गत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का कोई सवाल ही नहीं है और इसलिए अनुच्छेद 32 के अधिकार क्षेत्र पर विचार नहीं किया जाएगा।
कांग्रेस नेता जया ठाकुर द्वारा दायर पहली जनहित याचिका में दावा किया गया था कि संविधान (एक सौ छःवां संशोधन) अधिनियम, 2023, जो लोकसभा, राज्य विधानसभाओं के ऊपरी सदनों और दिल्ली विधानसभा में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण लागू करने का प्रस्ताव करता है, एक बार इस उद्देश्य के लिए बुलाए गए विशेष सत्र में भारी समर्थन के साथ पारित होने के बाद रोका नहीं जा सकता है।
हालांकि सितंबर 2023 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद संविधान संशोधन को कानून बना दिया गया था, लेकिन अगली जनगणना के बाद परिसीमन अभ्यास किए जाने तक यह अधिनियम लागू नहीं होगा।
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने इस रिट याचिका को निरर्थक बताते हुए खारिज कर दिया क्योंकि याचिकाकर्ता के वकील एडवोकेट वरुण ठाकुर ने कहा कि उन्होंने विधेयक को चुनौती दी थी, जो अब कानून बन गया है। इससे पहले, इस जनहित याचिका पर न्यायालय ने केंद्र सरकार को 2024 के आम चुनावों से पहले 2023 अधिनियम को तुरंत लागू करने का निर्देश देने पर आपत्ति जताई थी।
जबकि, अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडिया वीमेन द्वारा दायर दूसरी जनहित याचिका में न्यायालय ने कहा कि वह इस पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है। जस्टिस बेला ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता संवैधानिकता को चुनौती देना चाहता है तो वह हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है।
जस्टिस बेला ने कहा, "यदि इसमें कोई संवैधानिकता शामिल है, तो आप हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दे सकते हैं।"
एनएफआईडब्ल्यू की याचिका में, चुनौती 'परिसीमन खंड' को लेकर थी, जिसमें इसके कार्यान्वयन को स्थगित करने की मांग की गई थी और केंद्र सरकार से पहले जनगणना और परिसीमन अभ्यास करने की आवश्यकता को समाप्त करने का आग्रह किया गया था।
केस डिटेलः: डॉ. जया ठाकुर बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य, डब्ल्यूपी (सी) नंबर 1181/2023 और राष्ट्रीय भारतीय महिला महासंघ (एनएफआईडब्ल्यू) बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, डब्ल्यूपी (सी) नंबर 41/2024